नई दिल्ली। शनिदेव एक ऐसे ग्रह हैं जिनका Vakri Shani Effect नाम सुनते ही, लोगों के मन में भय shani ki chal पैदा हो जाता है। shani ki adhaiya आपको बता दें अच्छे—बुरे कर्मों sani ki sade sati का फल देने वाले अब उल्टी चाल चलने वाले हैं। shani ke upay जी हां आज से करीब 4 दिन बाद यानि 7 जून को शनि की वक्री चाल शुरू हो रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के Shani Sade Sati And Dhaiya 2022 अनुसार किसी भी ग्रह के गोचर में स्थान के अनुसार एक दो दिन का अंतर होता है।
फरवरी 2023 तक रहेंगे इसी स्थिति में —
आपको बता दें फिलहाल शनि मार्गी स्थिति में हैं। जो 7 जून को अपनी उल्टी चाल चलकर वक्री हो जाएंगे। जिसके बाद शनि की अढ़ैया और साढ़े साती से कुछ राशि के जातकों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। जिन पर अभी शनि की दशाएं चल रहीं हैं उनसे एक ग्रह पीछे वाली राशि पर शनि की वक्री चाल शुरू हो जाएगी।
अभी इन राशियों पर है शनि की साढ़े साती —
वर्तमान में मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है।
अभी इन राशियों पर है शनि की अढ़ैया —
वर्तमान में तुला और मिथुन पर शनि की अढ़ैया चल रही हैं।
7 जून से इन राशियों पर शुरू हो जाएगी साढ़े साती —
धनु, मकर, कुंभ
7 जून से वक्री होते इन पर शुरू हो जाएगी अढ़ैया —
मिथुन और तुला
फरवरी 2023 से इन राशियों को रहना होगा सतर्क —
फरवरी 2023 से इन पर शुरू होगी साढ़े साती —
मकर, कुंभ और मीन
फरवरी 2023 से इन पर शुरू होगी इन पर होगी अढ़ैया —
वृश्चिक, कर्क
ये रहेगी शनि की चाल —
कर्मफलदाता शनि 7 जून 2022 से कुंभ राशि में वक्री होकर धीमी गति से उल्टी चाल चलना शुरू कर देंगे। इसके बाद 12 अक्टूबर को वापस लौटकर फिर से मकर राशि में आ जाएंगे। आपको बता दें इसी मकर राशि 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे। इसके बाद कुंभ राशि में आ जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी शनिदेव किसी राशि में गोचर करते हैं। तब किसी राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव आरंभ हो जाता है,वहीं किसी पर से साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाती है।
कुंभ राशि में शनि का गोचर
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार बीते 29 अप्रैल 2022 को शनिदेव स्वयं की राशि कुंभ में प्रवेश किया था। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही मीन राशि वालों पर साढ़ेसाती का पहला चरण आरंभ हो गया है। वहीं दूसरी तरफ धनु राशि से साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म हो गया था।
शनि का वक्री होना इन राशियों के लिए शुभ
मेष राशि —
7 जून 2022 से शनि के कुंभ राशि में वक्री होने पर मेष राशि के जातकों पर इसका शुभ और लाभ प्रदान करने वाला होगा। अभी तक आपको कार्यों में बाधाएं दूर होने लगेगी। इतना ही नहीं आपकी योजनाएं सही दिशा में आगे बढ़ने लगेंगी। आर्थिक मामलों में आपको ज्यादा अवसर प्राप्त होने लगेंगे। समाज में आपके द्वारा किए गए कार्यों की चारो तरफ प्रशंसा होगी। यश और कीर्ति में वृद्धि होगी। संतान सुख मिलेगा। साथ ही पारिवारिक सहयोग भी प्राप्त होने लगेगा। करियर में यह समय आपके लिए अच्छे संकेत दे रहा है। व्यापार करने वाले जातकों के लिए शनि का कुंभ राशि में वक्री होना किसी वरदान से कम नहीं है।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना अच्छा संकेत है। हो सकता है आपको पैतृक संपत्ति मिल जाए। समय आपके अनुकूल होने वाला है। कोर्ट कचहरी के मामलों में फैसला आपके पक्ष में आ सकता है। धन लाभ के कई मौके मिलेंगे। छात्रों को प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है। सेहत में सुधार होगा। आपके कैरियर में चार चांद लगाने वाले व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है।
धनु राशि
शनि का वक्री होना धनु राशि के जातकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कमाई के अच्छे मौके आपको प्राप्त होने वाले हैं। व्यापार में आ रही अड़चनें दूर होंगी। और अधिक सफलता मिलना शुरू हो जाएगी। करियर को नई ऊंचाई मिलेगी। महत्वपूर्ण फैसले आपके पक्ष में आएंगे। नौकरी में प्रमोशन और आर्थिक लाभ के अच्छे संकेत हैं।
शनि की शांति के लिए करें ये उपाय
प्रत्येक शनिवार को करें शनिदेव की पूजा Shani Dev को How to worship Shani Dev प्रसन्न रखना जरूरी बताया गया है। मान्यता अनुसार शनिवार को सही तरीके से इनकी पूजा की जाए ग्रहों की दशा सुधरती है। फलस्वरूप उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं क्या हैं वे उपाय।
शनि के स्थान पर निर्भर करता है इसका प्रभाव —
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार शनि अच्छे व बुरे, दोनों प्रकार के प्रभाव डालता है। ये दोनों प्रभाव हमारी कुंडली में बैठे शनि के स्थान पर निर्भर करता है। जब यह 7 अंक यानि तुला राशि पर होता है तो यह उच्च का होता है। उच्च का शनि होने पर सबसे अच्छा फल देता है। उस समय यह धन, राज्य और यश प्राप्त कराता है। अपनी राशि मकर और कुंभ में होने पर साधारण फल देता है। जब यह 6, 8 ,12 भाव में होता है तो क्रमश: रोग, कष्ट और धन व्यय कराता है। शनि की दशा से सभी को सावधान रहने की जरूरत है। 27 मई को शनि वक्री हो रहा है। इसके बाद और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
ऐसे समझें साढ़े साती और अढ़ैया —
शनि की साढ़े साती 7.5 वर्ष की होती है। यह तीन 2.5 के तीन भागों में विभाजित होती है। जिससे कुल मिलाकर 7.5 वर्ष होते हैं। शुरू के 2.5 वर्ष यह सिर पर, उसके बाद 2.5 वर्ष पेट पर और अंतिम 2.5 वर्ष पैर पर होती है। ज्योतिषियों की माने तो उतरती हुई साढ़ेसाती शुभ फल देकर जाती है। इसी तरह अढ़ैया भी 2.5 वर्ष की होती है जो तीन भागों में विभाजित होकर क्रमश सिर, पेट और पैर पर होती है।
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(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं, Bansal News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)