Uttarakhand accident: कहीं तस्करों के चक्कर में तो नहीं फटा ग्लेशियर, दुर्लभ जड़ी-बूटी के लिए लोग हजारों फीट की उचांई पर प्रकृति के साथ कर रहे हैं खिलवाड़

Uttarakhand accident: कहीं तस्करों के चक्कर में तो नहीं फटा ग्लेशियर, दुर्लभ जड़ी-बूटी के लिए लोग प्रकृति के साथ कर रहे हैं खिलवाड़

Uttarakhand accident

नई दिल्ली। उत्तराखंड हादसे में अब तक 54 लोगों की जान जा चुकी है। 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता है। लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर ऋषिगंगा घाटी में ऐसा हुआ क्या जो ग्लेशियर फट गया। सरकार ने भी इस घटना के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए दो ग्लेशियोलॉजिस्ट की टीमें भी बना दी हैं। जो जोशीमठ और तपोवन जाकर ग्लेशियर फटने की वजह को हासिल करेंगे।

इस कारण से फट रहा है ग्लेशियर
वहीं पर्यावरणविदों का मानना है कि ये घटना ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हुआ है। हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उत्तराखंड के इन पहाड़ो को बहुत अच्छे से जानते हैं और उनका मानना हे कि ये हादसा लोगों द्वारा प्रकृति के साथ किए जा रहे खिलवाड़ के कारण हुआ। दरअसल, चमोली जिले में मौजूद ग्लेशियरों में दुनिया की सबसे कीमती जड़ी-बूटी पाई जाती है। इन जड़ी-बूटियों को पाने के लिए कुछ लोग ग्लेशियर तक पहुंच जाते हैं और बर्फ को खोदते हैं। इससे ग्लेशियर में छेद हो जाता है और फिर बर्फ पिघलने लगती है। इससे ग्लेशियर फटने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

तस्कर जा रहे हैं दुर्गम इलाकों में
बतादें कि हिमालय के दुर्गम इलाकों में पाए जाने वाले इन जड़ी-बूटियों की कीमत काफी अधिक होती है। इंटरनेशनल मार्केट में इन्हें 50 लाख रूपये प्रति किलो तक बेचा जाता है। इस कारण से इसकी तस्करी भी खूब की जाती है। खास बात ये है कि इन जड़ी-बूटियों को पहाड़ की चोटियों पर से निकाला जाता है। जहां जाना इतना आसान नहीं होता लेकिन तस्कर पैसों की चाहत में वहां पहुंच जाते हैं। इस कारण से भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। मालूम हो कि हिमालय में पाए जाने वाले इस जड़ी-बूटी को हिमालयन वायग्रा या यार्सागुम्बा कहा जाता है। मार्केट में इसकी बहुत अधिक डिमांड है।

ये जड़ी पांच सालों तक हिमालय में दबा रहता है
यह जड़ी-बूटी कैटरपिलर के प्यूपा से बनती है। यह प्यूपा लगभग 5 सालों तक हिमालय में दबा रहा है। जहां सूंडी बनने के दौरान इस पर फफूंद लग जाता है जो धीरे-धीरे कर के इसके शरीर में प्रवेश कर जाती है। इसके बाद यह उस कीट की सूंडी से ऊर्जा लेती है और फिर कीट के सिर से बाहर निकल जाती है। इस जड़ी को देखने पर भी लगता है कि यह कोई कीड़ा है इस कारण से स्थानीय नागरिक इसे कीड़ा जड़ी भी कहते हैं।

कई रोगों का इलाज इससे संभव है
इस जड़ी का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज में लिए किया जाता है। जैसे रक्तचाप को रोकने, शुक्राणु उत्पादन में, जीवन शक्ति बढ़ाने आदि में। इसके अलावा यह जड़ी, किडनी, फेफड़ा और गुर्दों को मजबूत करने में भी उपयोगी होता है। वैज्ञानिक आज भी इस जड़ी पर रिसर्च करते हैं ताकी कुछ और रोगों का इलाज इससे किया जा सके।

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