हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयात पर 26% टैरिफ की घोषणा की।
- भारतीय आयात पर पड़ेगा असर।
- ऑटोमोबाइल क्षैत्र पर सबसे ज्यादा असर।
US Donald Trump Reciprocal Tariff Vs India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के हाई टैरिफ के बदले भारतीय आयात पर 26% टैरिफ की घोषणा कर दी है। साथ ही चीन और यूरोपीयन यूनियन सहित अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर नए चार्ज लगाए। इससे भारत अमेरिका से जो भी वस्तु ले रहा है वे महंगे हो जाएंगे।
अमेरिका ने भारत पर उत्पादों पर प्रतिकारात्मक शुल्क (reciprocal tariffs) लगा दिया है। इससे कृषि, कीमती रत्न, रसायन, दवाइयां, चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक और मशीनरी जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है, जैसा कि विशेषज्ञों ने बताया था।
विशेषज्ञों का कहना था भारत के हाई टैरिफ पर अमेरिका को सामान बेचने की वजह से ट्रंप भारत पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है। हालांकि बुधवार 2 मार्च को ट्रंप ने भारतीय आयात पर 26% टैरिफ की घोषणा कर दी है। इससे अब भारतीय आम इंसान को अतिरिक्त सीमा शुल्क का सामना करना पड़ेगा। ये इसलिए हुआ है, क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच उत्पादों पर शुल्क का अंतर (tariff differential) बहुत अधिक है। ये अंतर अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क और भारत द्वारा लगाए गए शुल्क के बीच का अंतर है।
विभिन्न क्षेत्रों में ये अंतर अलग-अलग है।
केमिकल और दवाइयां: 8.6%
प्लास्टिक: 5.6%
वस्त्र और कपड़े: 1.4%
हीरे, सोना और आभूषण: 13.3%
लोहा, इस्पात और धातुएं: 2.5%
मशीनरी और कंप्यूटर: 5.3%
इलेक्ट्रॉनिक्स: 7.2%
ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक: 23.1%
एक एक्सपोर्टर ने बताया कि जितना अधिक शुल्क का अंतर होगा, उतना अधिक असर उस क्षेत्र पर पड़ेगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनके द्वारा घोषित किए जाने वाले शुल्क 2 अप्रैल 2025 को अमेरिका के लिए ‘मुक्ति दिवस’ (Liberation Day) होगा।
वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (GTRI) के विश्लेषण के अनुसार, कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक असर मछली, मांस और प्रोसेस्ड समुद्री खाद्य पदार्थों पर पड़ेगा, जिनका निर्यात 2024 में 2.58 अरब डॉलर था। इनमें 27.83% का शुल्क अंतर है।
श्रिम्प (झींगा), जो अमेरिका को भारत का एक प्रमुख निर्यात है, को अमेरिकी शुल्कों के लागू होने से कम्पटीशन में कठिनाई हो सकती है।
एक विशेषज्ञ ने बताया कि, “हमारे निर्यात पहले ही अमेरिका में एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटीज़ का सामना कर रहे हैं। यदि शुल्क बढ़ते हैं, तो हम कम्पटीशन नहीं कर पाएंगे।”
भारत का प्रोसेस्ड खाद्य, चीनी और कोको निर्यात भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि इसका शुल्क अंतर 24.99% है।
घी, मक्खन और दूध पाउडर होगा महंगा
दूसरी ओर, डेयरी उत्पाद, जिनका निर्यात 181.49 मिलियन डॉलर है, उन पर 38.23% का शुल्क अंतर हो सकता है। इससे घी, मक्खन और दूध पाउडर महंगे हो जाएंगे और उनका अमेरिकी बाजार में हिस्सा घट जाएगा। औद्योगिक सामान जैसे दवाइयां, आभूषण और इलेक्ट्रॉनिक्स भी प्रभावित हो सकते हैं।
भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र पर 10.90% शुल्क अंतर हो सकता है, जिससे दवाइयों की कीमतें बढ़ सकती हैं। हीरे, सोने और चांदी के आभूषण, जिनका निर्यात 11.88 अरब डॉलर है, पर 13.32% शुल्क बढ़ सकता है। जिससे आभूषण महंगे हो सकते हैं और उनकी प्रतिस्पर्धा में कमी आ सकती है।
ये सब भी हो जाएगा महंगा
इलेक्ट्रिकल, टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात 14.39 अरब डॉलर है और इन पर 7.24% शुल्क बढ़ सकता है। वहीं मशीनरी, बॉयलर, टर्बाइन और कंप्यूटर उत्पादों का निर्यात 7.10 अरब डॉलर है, और इन पर 5.29% शुल्क बढ़ सकता है। रसायन, जिनका निर्यात 5.71 अरब डॉलर है, पर 6.05% शुल्क बढ़ सकता है, जिससे अमेरिका में भारतीय रसायनों की मांग कम हो सकती है। कुछ अन्य उत्पाद जैसे रबर उत्पाद, कागज और लकड़ी के सामान, और फुटवियर पर भी असर हो सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी शुल्कों का अंतर प्रतिकारात्मक शुल्कों से अलग हो सकता है, क्योंकि अमेरिका ने कहा है कि वे नॉन-टैरिफ बाधाओं, जीएसटी और मुद्रा के प्रभाव को भी ध्यान में रखेगा।
अमेरिका ने भारत पर लगाया 26 प्रतिशत टैरिफ, ट्रंप ने कहा-हम आधा ही वसूल रहे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया। ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक फैसले पर साइन किए हैं। इसका मतलब अब अमेरिका दूसरे देशों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा जितना टैरिफ वो अमेरिका पर लगाते हैं। पढ़ने के लिए क्लिक करें