MP News: मध्यप्रदेश के कई जिलों और संभागों की सीमाएं नए सिरे से तय होंगी। सीएम मोहन ने पूर्व ACS मनोज श्रीवास्तव की अध्यक्षता में नया परिसीमन आयोग बनाया है। सीएम मोहन का कहना है कि जिले और संभागों में कई विसंगतियां हैं। प्रदेश में जिले तो बढ़ गए हैं, लेकिन जिलों की सीमाएं कम-ज्यादा और विसंगतिपूर्ण हैं। कई जिलों और संभागों का परिसीमन होगा। शहरी विकास विशेषज्ञ मनोज मीक ने मध्यप्रदेश में परिसीमन की चुनौतियों और रणनीति के बारे में बताया है।
चुनौतियां, जनसंख्या और क्षेत्रफल
1. जनसंख्या के ताजा आंकड़े नहीं होने से प्रशासनिक क्षेत्रों का परिसीमन आसान नहीं होगा। हमारे पास सेंसस 2011 तक के ही आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध हैं। परिसीमन आयोग के एक साल के कार्यकाल में नए आंकड़े आने की उम्मीद नहीं है।
2. ऐसी स्थिति में आधार कार्ड जैसे बिग डेटा की मदद लेनी होगी। निजता कानूनों के चलते केंद्र ये डेटा राज्य से शेयर करेगा या नहीं ये भी देखना होगा।
3. 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7.27 करोड़ है। जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर 2023 की जनसंख्या 8.77 करोड़ होने का अनुमान है।
4. जनगणना 2011 के मुताबिक, मध्यप्रदेश का जनसंख्या घनत्व 236 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। ये राष्ट्रीय औसत 382 से कम है। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला जिला भोपाल था, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर 855 लोग रहते थे। सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला डिंडौरी था, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर 94 लोग रहते थे।
5. मध्यप्रदेश का कुल क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर है. जिसमें 30 प्रतिशत वन भूमि है। राज्य में पहाड़, जंगल और नदियां हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों तक प्रशासनिक पहुंच चुनौतीपूर्ण हो जाती है। ये भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और देश के कुल क्षेत्रफल का 9.38 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश की लंबाई पूर्व से पश्चिम 870 किलोमीटर और चौड़ाई उत्तर से दक्षिण 605 किलोमीटर है।
6. राज्य में 52 जिले और 10 संभाग हैं, लेकिन कुछ जिलों में असमान जनसंख्या वितरण है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में लोग मुख्यालयों से दूर हैं, जिससे सेवाओं की उपलब्धता प्रभावित होती है।
परिसीमन के लिए रणनीति
1. जनसंख्या आधारित विभाजन: जिलों और तहसीलों को इस तरह विभाजित किया जाए कि प्रत्येक जिले में समान जनसंख्या हो।
2. भौगोलिक आधार पर परिसीमन: प्राकृतिक बाधाओं जैसे नदियां, जंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सीमांकन हो, जिससे प्रशासनिक पहुंच आसान हो।
3. प्रशासनिक पहुंच सुनिश्चित करना: प्रत्येक गांव या कस्बे को मुख्यालय से अधिकतम 50 किलोमीटर के दायरे में लाया जाए।
4. आर्थिक क्षेत्र: क्षेत्रों का विभाजन आर्थिक गतिविधियों के आधार पर किया जाए, जैसे कृषि, उद्योग, या आदिवासी क्षेत्र, ताकि फोकस्ड गवर्नेंस हो सके।
5. नए जिले और तहसील: अत्यधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में नए जिले और तहसील बनाकर प्रशासनिक बोझ को कम किया जाए।
सिफारिशें
1. जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में नए जिले: इंदौर, भोपाल और ग्वालियर जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में नए जिले बनाए जाएं।
2. आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों पर विशेष ध्यान: आदिवासी क्षेत्रों को छोटे और अधिक सुगम जिलों में विभाजित किया जाए ताकि प्रशासनिक ध्यान बेहतर हो।
3. संवेदनशील क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास: परिसीमन के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं को भी ध्यान में रखा जाए।
परिसीमन के लिए बेस्ट प्रैक्टिस अपनाने वाले देश
1. कनाडा: यह देश स्वतंत्र आयोगों द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शी परिसीमन के लिए जाना जाता है, जो जनसंख्या संतुलन, सामुदायिक प्रतिनिधित्व और भौगोलिक कारकों को प्राथमिकता देता है।
2. ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया में स्वतंत्र सीमा आयोगों का उपयोग किया जाता है जो जनसांख्यिकीय रुझानों के आधार पर निष्पक्ष चुनावी सीमाओं को सुनिश्चित करते हैं।
ये खबर भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा के 20 अधिकारियों की नई पोस्टिंग, डिप्टी कलेक्टर और जिला पंचायत CEO बदले
विश्व का सबसे अच्छा नियोजित देश और काउंटी
1. सिंगापुर: यह अपनी शानदार शहरी और प्रशासनिक योजना, आर्थिक विकास और सतत जीवन के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। सिंगापुर को विश्व का सबसे सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध देश माना जाता है। यहां की सरकार ने आधुनिक शहरी विकास, परिवहन, और सतत जीवन के मानकों को उच्च स्तर पर रखा है। सिंगापुर का अर्बन री-डेवलपमेंट अथॉरिटी (URA) लंबी अवधि की योजना बनाकर एक स्मार्ट और हरित शहर का निर्माण कर रही है। यहां के विकास में आवासीय, औद्योगिक, और पर्यावरणीय हितों का संतुलन रखा गया है।
2. जर्मनी (बवेरिया): यह क्षेत्र संतुलित क्षेत्रीय विकास और प्रभावी शासन संरचनाओं के लिए जाना जाता है। बवेरिया, जर्मनी का एक प्रमुख राज्य है, जिसे संतुलित क्षेत्रीय विकास और प्रभावी प्रशासन के लिए जाना जाता है। यहां के प्रशासन ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों का संतुलन बनाए रखा है। पर्यावरण संरक्षण, स्मार्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम, और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावी वितरण इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। बवेरिया में बड़े पैमाने पर औद्योगिक और कृषि विकास हुआ है, लेकिन इसके साथ ही यहां की सरकार ने पर्यावरण को भी प्राथमिकता दी है।
यह संतुलित दृष्टिकोण प्रशासनिक संरचना को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाएगा, बेस्ट प्रैक्टिसेस अपनाकर मध्यप्रदेश की जनसंख्या और भौगोलिक विविधता का समुचित ध्यान रखा जा सकेगा।
ये खबर भी पढ़ें: AI फीचर्स के साथ लॉन्च हुआ एपल आईफोन 16, पांच कलर ऑप्शन, शानदार कैमरा, जानें कितनी है कीमत