हाइलाइट्स
- हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद सख्त निर्देश
- प्रार्थना पत्र लटकाने वालों पर होगी सख्ती
- 45 दिन में करना होगा दाखिल खारिज
Revenue Code Changes: उत्तर प्रदेश में जमीनों के दाखिल खारिज (Mutation) के मामलों में अब अनावश्यक देरी नहीं चलेगी। शासन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए यह सुनिश्चित किया है कि गैर-विवादित मामलों में दिन के भीतर और विवादित मामलों में 90 दिन के भीतर नामांतरण (Land Transfer) की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इस नई व्यवस्था के तहत, दाखिल खारिज में देरी होने पर अब सीधे जिलाधिकारी (DM) और मंडलायुक्त (Commissioner) को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद सख्त निर्देश
यह महत्वपूर्ण निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दाखिल खारिज के मामलों में हो रही देरी पर जताई गई सख्त नाराजगी के बाद लिया गया है। प्रमुख सचिव राजस्व, पी. गुरुप्रसाद ने इस संबंध में एक शासनादेश जारी करते हुए सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को कड़े निर्देश भेजे हैं। शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि राजस्व संहिता-2006 की धारा 34/35 के तहत अंतरण (Transfer) मामलों में अविवादित नामांतरण (Mutation) का वाद 45 दिनों में और विवादित होने पर 90 दिनों में निस्तारित किया जाएगा। शासन की जानकारी में आया है कि कई जिलों में इन निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा था, जिसके चलते हाईकोर्ट में लगातार रिट याचिकाएं दाखिल हो रही थीं।
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प्रार्थना पत्र लटकाने वालों पर होगी सख्ती
अब धारा-34 के तहत प्राप्त, लेकिन पंजीकरण के लिए लंबित मामलों का आरसीसीएमएस पोर्टल (RCCMS Portal) पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराया जाएगा। जानबूझकर प्रार्थना पत्रों को लटकाए रखने वाले कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। नामांतरण वादों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा। दाखिल खारिज से संबंधित गैर-विवादित मामलों में किसी भी स्थिति में 45 दिनों से अधिक का समय नहीं लगाया जाएगा।
हाईकोर्ट की ओर से वादों को निस्तारित करने संबंधी दिए गए आदेशों वाले मामलों की सुनवाई तिथि नियत कर प्रतिदिन सुनी जाएगी। मंडलायुक्त और जिलाधिकारी अपने स्तर से कार्ययोजना बनाकर नामांतरण के लिए लंबित मामलों की समीक्षा करेंगे। वादों के समय से निस्तारित कराने के लिए नियमित समीक्षा की जाएगी। मंडलायुक्त व जिलाधिकारी तहसीलों के अधीनस्थ पीठासीन अधिकारियों को इस संबंध में सख्त निर्देश देंगे। इस निर्देश की अवहेलना करने वाले पीठासीन अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने संबंधी प्रस्ताव शासन के साथ राजस्व परिषद को उपलब्ध कराया जाएगा।
क्या होता है दाखिल खारिज? दाखिल खारिज
एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें जमीन की बिक्री, दान या उत्तराधिकार के कारण जब स्वामित्व (Ownership) परिवर्तित होता है, तो राजस्व रिकॉर्ड (Revenue Records) में नए मालिक का नाम दर्ज किया जाता है और पुराने मालिक का नाम हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ही दाखिल खारिज या नामांतरण कहा जाता है। यह राजस्व रिकॉर्ड को अद्यतन (Update) रखने और संपत्ति के स्वामित्व को स्पष्ट करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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