Rent Agreements In UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने किराएदारों और मकान मालिकों के बीच होने वाले समझौतों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य में किराए के समझौतों (रेंट एग्रीमेंट) की भी रजिस्ट्री अनिवार्य होगी। इसके साथ ही, केवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट पर लिखी गई शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी। यह कदम किराएदारों और मकान मालिकों के बीच होने वाले विवादों को कम करने और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
किराए के समझौतों को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य
राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, इस नए नियम के तहत किराए के समझौतों को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होगा। इससे दोनों पक्षों के बीच होने वाले समझौते कानूनी रूप से मजबूत होंगे और किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में रजिस्टर्ड दस्तावेज ही मुख्य आधार माने जाएंगे। यह कदम किराएदारों को अवैध रूप से बेदखल होने से बचाने और मकान मालिकों को किराए की समय पर प्राप्ति सुनिश्चित करने में मददगार साबित होगा।
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निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा
इस नए प्रावधान के तहत, किराए के समझौतों को रजिस्टर्ड कराने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा। समझौते में किराए की राशि, समय अवधि, सुरक्षा राशि और अन्य शर्तों को स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाएगा। इससे दोनों पक्षों को समझौते की शर्तों को लेकर किसी भी प्रकार की अस्पष्टता नहीं रहेगी।
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रेंटल मार्केट को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित होगा
रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम राज्य में रेंटल मार्केट को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाएगा। इससे न केवल किराएदारों और मकान मालिकों के बीच विश्वास बढ़ेगा, बल्कि अवैध कब्जे और किराए संबंधी विवादों में भी कमी आएगी। यूपी सरकार का यह फैसला राज्य के नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है और इससे किराए के मामलों में कानूनी सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।