हाइलाइट्स
- परिवार आज भी उसी इलाके में, लेकिन अलग-थलग
- पत्रकार हत्याकांड से खुला राज
- जहां नरमुंड दफन, वो ज़मीन बंजर
Tantrik Ram Niranjan: उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका ने एक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उस नरभक्षी दरिंदे को सजा सुना दी, जिसकी क्रूरता की दास्तानें आज भी लोगों को सिहरने पर मजबूर कर देती हैं। राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को लखनऊ की एडीजे कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह सजा 2000 में रायबरेली के मनोज सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की अपहरण के बाद हत्या के मामले में दी गई।
नरमुंडों का सूप पीने वाला दरिंदा
राजा कोलंदर ने पुलिस पूछताछ में 14 से अधिक हत्याओं की बात कबूल की थी। वह सिर्फ हत्या नहीं करता था, बल्कि शवों के टुकड़े कर उनका मांस खाता और खोपड़ी से भेजा निकालकर उबालकर पीता था। उसका मानना था कि ऐसा करने से उसे अलौकिक शक्ति और तेज दिमाग मिलेगा।
जहां नरमुंड दफन, वो ज़मीन बंजर
प्रयागराज के नैनी स्थित गंगानगर कॉलोनी में राजा कोलंदर का घर आज भी मौजूद है, लेकिन उस घर के 400 मीटर के दायरे में कोई नहीं रहता। जहां उसका फार्म हाउस था, वो जमीन अब बंजर हो चुकी है। वहीं नरमुंडों को दफनाया गया था। आखिरी बार पुलिस ने यहां खुदाई की थी।
परिवार आज भी उसी इलाके में, लेकिन अलग-थलग
राजा कोलंदर के परिवार के सदस्य उसी इलाके में एक छोटे से मकान में रहते हैं। उसके बेटों का नाम अदालत और जमानत, जबकि बेटी का नाम आंदोलन है। बड़ा बेटा पुणे में नौकरी करता है, छोटा बेटा ताइक्वांडो सिखाता है। उसकी बेटी रेनू (उर्फ आंदोलन) भी अब पुणे चली गई है।
“नाना फंसाए गए” नाती का दावा
राजा कोलंदर के नाती शशांक का कहना है कि उनका नाना निर्दोष है और कोल जाति से होने के कारण उन्हें फंसाया गया। उनका कहना है कि राजा कोलंदर की पत्नी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य थीं, तभी से ऊंची जातियों के लोग उनके पीछे पड़ गए।
कैसे बना राम निरंजन से राजा कोलंदर?
राम निरंजन कोल ऑर्डिनेंस डिपो में चौथी श्रेणी का कर्मचारी था। 90 के दशक में उसने अपनी दबंगई और राजनीतिक पकड़ के जरिए पत्नी को चुनाव लड़वाया। कोल समाज के लोग उसे राजा कहने लगे, और इसी नाम से वह कुख्यात हो गया।
पत्रकार हत्याकांड से खुला राज
2000 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के बाद जब पुलिस ने राजा कोलंदर को गिरफ्तार किया, तो उसके घर से एक डायरी मिली जिसमें दर्ज थी उसके कत्लों की रूह कंपा देने वाली कहानियाँ। उस डायरी ने राजा कोलंदर की शैतानी सोच और नरभक्षी मानसिकता की पोल खोल दी।
आज भी दहशत कायम
राजा कोलंदर को 2012 में पहली बार सजा हुई, लेकिन अब एक और मामले में उम्रकैद मिल चुकी है। लोग आज भी उसके नाम से कांपते हैं, उसकी जमीन, उसका घर, सबकुछ वीरान हो चुका है। मगर उसकी वहशत की कहानियां आज भी उत्तर प्रदेश में दहशत और क्रूरता की मिसाल बनकर ज़िंदा हैं।
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