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Mahakumbh Mela 2025: महिलाएं कैसे बनती हैं नागा साधु, क्या हैं इससे जुड़े रहस्य, महाकुंभ में क्यों खास है इनकी उपस्थिति

Mahakumbh Mela 2025: महिलाएं कैसे बनती हैं नागा साधु (Naga Sadhu) , क्या हैं इससे जुड़े रहस्य, महाकुंभ में क्यों खास है इनकी उपस्थिति

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Preeti Dwivedi
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Mahila Naga Sadhu Kaise Banti Hai: नए साल में महाकुंभ 2025 शुरू होने वाला है। मकर संक्रांति के एक दिन पहले 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। महाकुंभ (Mahakumbh Mela 2025) में महिला नागा साधुओं की उपस्थिति बेहद खास होती है।

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महाकुंभ महिला नागा साधुओं (Mahila Naga Sadhu News) की उ​पस्थिति होने वाली है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस आखिर महिलाएं नागा साधु कैसे बनती (how do women become naga sadhu) हैं, जानते हैं इनसे जुड़े कुछ रहस्य।

महिलाओं नागा साधुओं के लिए नियम

आपको बता दें हिन्दू धर्म में पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी नागा साधु बनती हैं। इन्हें भी साधु बनने के लिए सभी मोहमाया का त्याग करना पड़ता है। पुरुषों की तरह महिला नागु साधु बनने के लिए नियम कड़े होते हैं।

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महिला नागा साधु बनना आसान नहीं

आमतौर पर आध्यात्म की राह आसान नहीं होती है ऐसे में जब महिला नागा साधु की बात होती है तब ये राह और अधिक कठिन हो जाता है। महिलाओं के नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। महिला नागा साधुओं की तपस्या भी कठिन होती है। इनका पूरा जीवन भगवान के लिए समर्पित होता है। ये महिला नागा साधु जंगलों और अखाड़ों में रहकर सालों कठिन तप करती हैं।

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[caption id="attachment_718036" align="alignnone" width="889"]Mahakumbh-Mela-2025-Mahila-naga-sadhu Mahakumbh-Mela-2025-Mahila-naga-sadhu[/caption]

कैसे बनती हैं नागा साधु

जानकारों के अनुसार महिला नागा साधुओं को कठिन नियमों का पालन करना होता है। अगर कोई महिला नागा साधु बनना चाहती हैं तो इसके नियम बेहद कठिन होते हैं।
नागा साधु बनने के लिए महिलाओं को पहले 6 से 12 वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

जो महिला ऐसा करने में सफलता प्राप्त हो जाती है उन्हें अपने गुरुओं की ओर से नागा साधु बनने की अनुमति दे दी जाती है।

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जो महिला नागा साधु बनना चाहती हैं पहले उनसे उनके पिछले जीवन के बारे में जानकारी ली जाती है।

महिला नागा साधु बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को अपने गुरुओं को अपनी योग्यता के बारे में यकीन दिलाना पड़ता है।

महिला साधुओं को क्यों करना पड़ता है अपना ही पिंडदान

हिन्दू धर्म के अनुसार जो भी महिला नागा साधु बनने की इच्छा रखती है, उन्हें सबसे पहले अपना सिर मुंडवाना होता है। नागा साधु बनने का ये सबसे अहम पड़ाव है। इस दौरान महिला को अपना ही पिंडदान करना होता है।

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पिंडदान से जीवन से मुक्ति

महिलाओं को नागा साधु बनने से पहले स्वयं का पिंडदान उसी के हाथों कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पिंडदान के बाद महिला को सांसारिक जीवन से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाती है।

इस पड़ाव के बाद ही महिला नागा साधु ये स्वीकार कर लेती हैं कि वो अब एक अध्यात्म के नए सफर पर निकल पड़ी हैं। उनका सारा जीवन ईश्वर को समर्पित हो गया है।

क्या महिला नागा साधु वस्त पहनती हैं

वैसे तो महिला और पुरुष नागा साधुओं का जीवन लगभग एक समान होता है लेकिन पहनावे की बात की जाए तो पुरुष नागा साधु तो नग्न रहते हैं, लेकिन महिला नागा साधुओं को गेरुआ वस्त्र धारण करने की अनुमति होती है।

पर इस वस्त्र में उन्हें ध्यान रखना होता है कि वे वस्त सिला नहीं होता।

माथे पर तिलक, शरीर पर भष्म धारण करती हैं नागा साधू

आपको बता दें महिला नागा साधुओं का पहनावा और रहन सहन कुछ हद तक पुरूषों के समान होता है। महिला नागा साधू माथे पर तिलक लगाती हैं।

पूरे शरीर पर भष्म धारण करती हैं। नागा साधुओं के समान ये भी शाही स्नान करती हैं, लेकिन उनके स्नान के लिए एक स्थान रहता है।

​महिला नागा साधु का अखाड़ा कौन सा है

जानकारों की मानें तो महिला नागा साधुओं के नियम भी पुरुष नागा साधुओं जितने कठिन होते हैं। बल्कि उनसे ज्यादा कठिन होते हैं। एक महिला को नागा साधु बनने के लिए कई चीजों का त्याग करना होता है।

जब ​कोई महिला नागा साधु बनती है तो उसे माता की पदवी दी जाती है। आपको बता दें, कि दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा (Dashnaam Sanyasini Akhada) में सबसे अधिक महिला नागा साधु बनती हैं।

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सुबह शाम नदी में स्नान का नियम

महिला नागा साधुओं की साधना कठिन होती है। उन्हें सर्दी हो गर्मी सुबह नदी स्नान के बाद शुद्ध होकर महिला नागा संन्यासिनों की साधना शुरू होती है। महिला नागा साधुओं को नदी में स्नान के बाद प्रात: भगवान शिव की और शाम के समय भगवान दत्तात्रेय (Lord Dattatreye ) की पूजा करनी होती है।

महाकुंभ में महिला नागा साधुओं का क्यों है महत्व

महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। इसमें महिला नागा साधुओं का आना बेहद खास माना जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं। ऐसा माना जाता है क्योंकि महिलाओं में रजस्वला अवस्था के दौरान पूजा करने की मनाही होती है।

उसी प्रकार यह नियम नागा साधु की तपस्या के दौरान भी मान्य है। इसलिए महाकुंभ में कुछ निश्चित समय के लिए ही महिला नागा साधु (Mahila Naga Sadhu) शामिल होती हैं। यानी महिला नागा साधुओं को अपने उच्च तप को निश्चित समय अवधि में समाप्त करने की बाध्यता होती है।

यह भी पढ़ें: Mahakumbh Mela 2024: महाकुंभ पर बन रहा ग्रहों का शुभ संयोग, मकर संक्रांति से एक दिन पहले से शुरू होगा शाही स्नान

नोट: इस लेख में दी गई जानकारियों सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

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