हाइलाइट्स
- शिक्षकों का असंतुलन बना चुनौती, तबादलों से बनेगा संतुलन
- गर्मी की छुट्टियों में पूरी हो सकती है प्रक्रिया
- शिक्षकों को मिलेंगे प्राथमिकता विकल्प, स्वेच्छा से होंगे तबादले
Primary schools of UP: उत्तर प्रदेश के 10 हजार से अधिक प्राइमरी स्कूलों में जल्द ही शिक्षकों की भारी कमी दूर होने जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग ने 8 वर्षों बाद सामान्य तबादलों की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे जरूरत वाले स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती संभव हो सकेगी।
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेश के 1700 से अधिक स्कूलों में एक भी नियमित शिक्षक नहीं है, जबकि 9100 से अधिक विद्यालयों में सिर्फ एक नियमित शिक्षक कार्यरत है। इन स्कूलों में पढ़ाई का काम शिक्षामित्रों या पास के स्कूलों से भेजे गए शिक्षकों के भरोसे चल रहा है।
शिक्षकों का असंतुलन बना चुनौती, तबादलों से बनेगा संतुलन
प्रदेश में कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहां छात्रों की संख्या के अनुपात में अधिक शिक्षक तैनात हैं, जबकि कुछ विद्यालयों में शिक्षकों की बेहद कमी है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए ही सामान्य तबादला नीति को प्रभावी बनाया गया है। शिक्षकों का तबादला यू-डायस पोर्टल पर दर्ज छात्र संख्या और RTE (निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून) के मानकों के आधार पर किया जाएगा।
गर्मी की छुट्टियों में पूरी हो सकती है प्रक्रिया
बेसिक शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि यह तबादला प्रक्रिया गर्मी की छुट्टियों में ही पूरी कर ली जाएगी। पिछले साल विभाग ने 24 दिन में अंतर-जिला परस्पर तबादले की प्रक्रिया पूरी करते हुए 16,614 शिक्षकों को स्थानांतरित किया था।
शिक्षकों को मिलेंगे प्राथमिकता विकल्प, स्वेच्छा से होंगे तबादले
तबादले स्वेच्छा से किए जाएंगे। शिक्षक 10 विद्यालयों का प्राथमिकता क्रम देंगे, और उन्हें उन्हीं स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षक की जरूरत है। हालांकि, सामान्य तबादले से आने वाले शिक्षक वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे माने जाएंगे, जिससे कुछ शिक्षक तबादले से हिचक सकते हैं।
वर्तमान परस्पर तबादलों पर भी पड़ेगा असर
फिलहाल जारी परस्पर तबादले की प्रक्रिया पर भी सामान्य तबादलों का असर पड़ सकता है। शिक्षक संगठनों ने चिंता जताई है कि यदि किसी स्कूल में पहले से शिक्षक पर्याप्त हैं और वहां कोई स्थानांतरित होता है, तो उसे फिर से किसी अन्य आवश्यकता वाले विद्यालय में भेजा जा सकता है।
शिक्षा की स्थिति में बड़ा बदलाव
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य है प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करना, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। यदि नीति सफल रही, तो इससे 10 हजार से अधिक विद्यालयों में शिक्षा की स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
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