रिपोर्ट, अनुराग श्रीवास्तव, कानपुर
हाइलाइट्स
- कानपुर साइबर सेल का बड़ा एक्शन
- विदेश में नौकरी के नाम पर 5 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
- 5 करोड़ रुपये का लेन-देन
KANPUR NEWS: कानपुर साइबर क्राइम सेल ने विदेश में नौकरी के झूठे वादे कर युवाओं को ठगने वाले एक बड़े गिरोह को पकड़ा है। पुलिस ने अब तक गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जबकि 15 अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
5 करोड़ रुपये का लेन-देन
5 करोड़ रुपये का लेन-देन पुलिस को आरोपियों के खातों में मिला गिरोह युवाओं को दुबई, कनाडा और यूरोप में नौकरी का झूठा लालच देकर ठगता था। पीड़ितों से वीजा और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाते थे, साइबर सेल ने कई डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज जब्त किए।
पुलिस कमिश्नर का बयान
कानपुर पुलिस कमिश्नर ने बताया कि “यह गिरोह पिछले 2 साल से सक्रिय था और इन्होंने सैकड़ों युवाओं को ठगा है। हमने उनके बैंक खातों में 5 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध लेन-देन पाया है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया और नौकरी पोर्टल्स पर फर्जी जॉब पोस्टिंग डालते थे पीड़ितों को फर्जी ऑफर लेटर और वीजा दस्तावेज भेजते थे। विभिन्न शुल्कों के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाते थे। पैसे मिलने के बाद संपर्क समाप्त कर देते थे।
हाईटेक ठग इस तरह से आम लोगों को बनाते थे निशाना, ऐसे करते थे ठगी ?
डिजिटल युग मे गिरोह के सदस्य भी शातिराना अंदाज में ठगी को अंजाम देते थे, इस दौरान ये ठग ‘Elite Global Careers’ और ‘Overseas Consultancy’ नामक फर्जी वेबसाइटें चलाते थे। ये वेबसाइटें बिल्कुल असली जॉब कंसल्टेंसी जैसी दिखती थीं, जिससे लोग आसानी से इनकी जालसाजी में फंस जाते थे और अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई गवा देते थे ।
प्रतिष्ठित वेबसाइटों पर सक्रिय होकर ठग करते थे दुरप्रयोग
पकड़े गए गिरोह के सदस्य Naukri.com और अन्य जॉब पोर्टल्स का दुरुपयोग करते थे। वे उन उम्मीदवारों का डेटा चुरा लेते थे, जिन्होंने विदेश में नौकरी पाने के लिए अपने रिज्यूमे अपलोड किए थे। इसके बाद, गिरोह के टेली कॉलर्स इन उम्मीदवारों को कॉल करके उन्हें आकर्षक विदेशी नौकरी का ऑफर देते थे। आरोपी ऑनलाइन इंटरव्यू की व्यवस्था कराते थे, जिससे उम्मीदवारों को यह प्रक्रिया पूरी तरह वास्तविक लगे। ठगी के पहले चरण में 25,000 से 30,000 रुपये की मांग की जाती थी, जिसे ‘प्रोसेसिंग फीस’ और ‘वेरिफिकेशन चार्ज’ बताया जाता था। दूसरे चरण में वीजा, ट्रैवल और अन्य औपचारिकताओं के नाम पर 4.5 लाख रुपये तक ऐंठ लिए जाते थे। पैसा मिलते ही आरोपी अपने मोबाइल नंबर बंद कर देते थे और पीड़ित से संपर्क खत्म कर देते थे।
ठगी के इस गिरोह के नेटवर्क की जांच जारी
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि यह गिरोह केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी सक्रिय था। गिरोह के सदस्य सोशल मीडिया के जरिए भी नौकरी के फर्जी विज्ञापन पोस्ट करते थे और लोगों को जाल में फंसाते थे। इस गिरोह की कार्यप्रणाली इतनी संगठित थी कि यह अपने फर्जी इंटरव्यू बोर्ड और नियुक्ति पत्रों तक का इंतजाम करता था, जिससे उम्मीदवारों को धोखाधड़ी का आभास न हो। पुलिस को संदेह है कि गिरोह के कुछ अन्य साथी भी इस अपराध में शामिल हो सकते हैं और उनकी तलाश की जा रही है।
पकड़े गए ठगों के पास से पुलिस ने की बड़ी बरामदगी
कानपुर पुलिस ने इस गिरोह के ठिकानों पर छापा मारकर भारी मात्रा में डिजिटल और भौतिक साक्ष्य बरामद किए हैं। पुलिस को इनके पास से तीन लैपटॉप, 9 स्मार्टफोन, 14 कीपैड मोबाइल, 8 मोबाइल सिम, एक जियो वाई-फाई डिवाइस, कई बैंक पासबुक और डेबिट कार्ड, हुंडई वेरना कार बरामद हुई है!
लाखों लोगों को बनाया निशाना, ठगी का आंकड़ा 3-4 करोड़ रुपये के पार
पुलिस का मानना है कि इस गिरोह ने अब तक प्रदेशभर में लाखों लोगों को निशाना बनाया है। डीसीपी क्राइम सैयद मोहम्मद कासिम ने बताया कि गिरोह के सदस्य न केवल फोन कॉल के माध्यम से बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, WhatsApp, Telegram और Instagram पर भी नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। अब तक की जांच में अनुमान लगाया गया है कि इस गिरोह ने लगभग 3 से 4 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया है। पुलिस इस नेटवर्क में शामिल अन्य अपराधियों की पहचान करने और गिरोह को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में तरवां थाने में एक दलित युवक की संदिग्ध हालत में मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने बड़ा हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया, जबकि पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ने की कोशिश की। इस झड़प में मॉनिटरिंग सेल के इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मौर्य गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें पीजीआई लखनऊ रेफर किया गया है। पढ़ने के लिए क्लिक करें