हाइलाइट्स
- अप्रैल महीने से बिजली बिल में अतिरिक्त शुल्क जोड़ने की तैयारी।
- उपभोक्ता परिषद ने अतिरिक्त शुल्क जोड़ने के खिलाफ दाखिल की जनहित याचिका।
- उपभोक्ता परिषद की अपील बिजली की दर बढ़ोतरी पर तुरंत लगाई जाए रोक।
UP Electricity Rate Hike: उत्तर प्रदेश के लोगों को जल्द ही महंगी बिजली से राहत मिल सकती है। अप्रैल महीने से बिजली बिल में अधिभार (अतिरिक्त शुल्क) जोड़ने की तैयारी चल रही है, जिससे बिजली महंगी हो जाएगी। इसी को लेकर उपभोक्ता परिषद ने राज्य विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित याचिका दाखिल की है।
क्यों बढ़ रहा है बिजली का बिल?
दरअसल, बिजली कंपनियां ईंधन और ऊर्जा खरीद अधिभार (एफपीसीए) के नाम पर हर महीने बिजली के बिल में अतिरिक्त पैसे वसूल रही हैं। पिछले पांच साल में इससे बिजली दरें 1.24% तक बढ़ चुकी हैं। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के 33,122 करोड़ रुपये बकाया हैं, तो उनसे बार-बार अधिभार के नाम पर पैसे वसूलना गलत और अवैध है।
क्या कहा उपभोक्ता परिषद ने?
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन भविष्य में बिजली की दरों में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की योजना बना रहा है। इसके लिए वह जल्द ही प्रस्ताव भी लाने वाला है। परिषद ने आयोग से अपील की है कि इस तरह की बढ़ोतरी पर तुरंत रोक लगाई जाए, ताकि आम आदमी पर और बोझ न पड़े।
दो प्रतिशत राहत की मांग
उपभोक्ता परिषद ने यह भी मांग की है कि बिजली बिलों में 2 प्रतिशत की कटौती का आदेश जल्द से जल्द जारी किया जाए। परिषद के अनुसार, फरवरी महीने में बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के करीब 150 से 170 करोड़ रुपये सरप्लस निकले हैं। इसलिए मई के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को इसका फायदा मिलना चाहिए।
साथ ही परिषद ने यह भी कहा है कि अगर किसी महीने बिजली कंपनियों के पास ज्यादा पैसा बचता है, तो उसे बिल में न जोड़ा जाए, बल्कि उसी पैसे को उपभोक्ताओं के बकाए में घटाया जाए।
क्या होगा आगे?
अगर आयोग उपभोक्ता परिषद की बातें मान लेता है, तो बिजली के बढ़े हुए बिलों से लोगों को राहत मिल सकती है। आने वाले समय में यह फैसला आम जनता के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
Allahabad High Court: सोशल मीडिया पर ‘लाइक’ करने को पोस्ट या शेयर करने के बराबर नहीं माना जा सकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि किसी सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक करना, उसे पोस्ट या शेयर करने के समान नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड निर्धारित करता है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें