(रिपोर्ट- आलोक राय लखनऊ)
Delhi Eelection on Mayawati: देश की राजधानी दिल्ली में भाजपा का 27 साल का वनवास समाप्त हो चुका है। प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा ने राजधानी में वापसी की है। बीते 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी का किला ढह गया। इसी के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
वहीं दिल्ली विधानसभा और यूपी के मिल्कीपुर में हुए उपचुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमों मायावती का इस जनादेश पर बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने ‘हवा चले जिधर की, चलो तुम उधर की’ के तर्ज पर विधानसभा आमचुनाव में वोट देकर भाजपा की सरकार 27 वर्षों के बाद दिल्ली में बना दी है, तो केन्द्र की भाजपा सरकार का उत्तरदायित्व बनता है कि वह दिल्ली की लगभग दो करोड़ जनता से किए गए जनहित व जनकल्याण के तमाम वादों और गारण्टियों आदि को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से जल्दी पूरा करें।
भाजपा द्वारा वादा व गारण्टी निभाना जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा द्वारा वादा व गारण्टी निभाना जरूरी ताकि आम लोगों का जीवन बेहतर अर्थात् ‘अच्छे दिन’ वाला, दूसरे गरीब व मेहनतकश लोगों से, थोड़ा बेहतर ज़रूर हो सके और इस क्रम में सबसे पहले यमुना की सफाई तथा वायु प्रदूषण आदि से मुक्त करके दिल्ली को रहने योग्य स्वस्थ्य बनाये ।
दिल्ली विधानसभा आमचुनाव का आये परिणाम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आगे कहा कि यह नतीजा, लगभग 27 वर्षों के लम्बे इंतजार के बाद, भाजपा के पक्ष में लगभग एकतरफा होने से बी.एस.पी. सहित दूसरी पार्टियों को काफी नुकसान सहना पड़ा है तो इसका एक प्रमुख कारण अब तक दिल्ली में सत्ता में रही स्वयं आप पार्टी की सरकार है।
सपा की इतनी शर्मनाक हार कैसे हुई- मायावती
इसके अलावा, यूपी के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की अपनी सीट पर 61,710 वोटों से करारी हार भी जनता की नजर में इस हकीकत को लेकर है कि बी.एस.पी. द्वारा चुनावी गड़बड़ी सम्बंधी आवश्यक सुधार होने तक देश में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने के फैसले के कारण इस सीट पर पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं होने के बावजूद सपा की इतनी शर्मनाक हार कैसे हुई? इस पर सपा के जवाब का लोगों को इंतजार है क्योंकि यूपी में पिछली बार हुए उपचुनाव में सपा ने अपनी पार्टी की हार की ठीकरा बी. एस.पी. के ऊपर टालने का राजनीतिक प्रयास किया था।
यूपी के गरीबों, मजदूरों, दलितों, अन्य पिछड़ों तथा मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों से यही कहना है
ऐसे में एक बार फिर सर्वसमाज के लोगों में भी खासकर यूपी के गरीबों, मजदूरों, दलितों, अन्य पिछड़ों तथा मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों से यही कहना है कि भाजपा, कांग्रेस व सपा आदि जातिवादी पार्टियाँ उनकी हितैषी नहीं बल्कि अधिकतर मामलों में शोषक हैं तथा इन सभी लोगों का हित केवल अम्बेडकरवादी बी. एस.पी. व पार्टी की सरकार में ही निहित व सुरक्षित रह सकता है। यूपी इसकी खास मिसाल है।