UP 69000 Teacher Recruitment: उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर एक बार फिर अभ्यर्थियों को निराशा हाथ लगी है। 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन यह नहीं हो सकी। अब मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी। बार-बार तारीख टलने से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों में गहरी नाराजगी है।
बार-बार टल रही सुनवाई
69000 शिक्षक भर्ती (Teacher Recruitment) मामले में पहली सुनवाई सितंबर 2024 में हुई थी, लेकिन तब से अब तक अदालत में बार-बार नई तारीख दी जा रही है। 18 मार्च को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन उसे 25 मार्च तक टाल दिया गया था। अब फिर से 1 अप्रैल की तारीख दी गई है, जिससे अभ्यर्थी निराश हैं।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही और सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पैरवी नहीं हो रही। अभ्यर्थियों ने इसको लेकर शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव भी किया था, लेकिन सुनवाई टलने से उनकी उम्मीदें टूट गई हैं।
शिक्षा मंत्री और अधिकारियों पर वादाखिलाफी का आरोप
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने आरोप लगाया कि शिक्षा मंत्री और अधिकारी वादाखिलाफी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने तीन महीने के अंदर नई चयन सूची जारी करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे इको गार्डन में धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। उनका आरोप है कि सरकार इस मामले में निष्क्रिय बनी हुई है, जिससे सुप्रीम कोर्ट में बार-बार सुनवाई की तारीख आगे बढ़ रही है।
अभ्यर्थियों की मांग और सरकार का रुख
अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें हैं:
- सुप्रीम कोर्ट में तेजी से सुनवाई कर फैसला लिया जाए।
- हाईकोर्ट के आदेशानुसार तीन महीने के अंदर नई चयन सूची जारी हो।
- सरकार इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाए और वकीलों के माध्यम से प्रभावी पैरवी करे।
अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे अभ्यर्थियों में गहरा असंतोष है।
क्या है 69000 शिक्षक भर्ती मामला?
उत्तर प्रदेश में 2019 में 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा को लेकर कटऑफ मार्क्स, आरक्षण नीति और चयन प्रक्रिया पर कई विवाद हुए, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी नई चयन सूची की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई बार-बार टल रही है।
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