हाइलाइट्स
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केंद्रीय कैबिनेट की बैठक
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गन्ना खरीदी की मूल्य बढ़ा
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लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के हक में फैसला
दिल्ली। Sugarcane FRP: सरकार ने बुधवार को 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी। बता दें कि गन्ने का नया सत्र अक्टूबर से शुरू होता है। उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) वह न्यूनतम मूल्य है, जो शुगर मिलों को गन्ना किसानों को चुकाना पड़ता है।
लोकसभा चुनाव के पहले किसानों के हक में फैसला
गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया है। यह 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मोदी सरकार द्वारा की गई सबसे अधिक बढ़ोतरी है। यह कदम आम चुनाव 2024 से पहले लिया गया है।
मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी
बता दें कि गन्ना मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उगाया जाता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सत्र 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल पर मंजूरी दे दी है।
#WATCH | Union Minister Anurag Thakur says, " Second decision is, under National Livestock Mission, a sub-scheme which is related to the Ministry of Animal Husbandry and Dairying …to bring a big change in this, our pack animals such as camel, horse, donkey…their numbers are… pic.twitter.com/H0ldB6Tp1F
— ANI (@ANI) February 21, 2024
इस तरह तय होता गन्ने का रेट
FRP वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर चीनी मिलों किसानों से गन्ना खरीदना होता है। कमीशन ऑफ एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज (CACP) हर साल अपनी ओर से FRP के लिए सिफारिश करता है।
CACP गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी ओर से सिफारिश भेजती है। इस सिफारिश पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है। केंद्र सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत FRP तय करती हैं। FRP में बढ़ोतरी से सीधा फायदा किसानों को होता है।
उसना चावल पर 31 मार्च के बाद भी जारी रहेगा 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क
दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसना चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क 31 मार्च के बाद भी जारी रहेगा।स्थानीय स्तर पर पर्याप्त भंडारण और घरेलू कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए 25 अगस्त, 2023 से 16 अक्टूबर, 2023 तक उसना चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था।
हालांकि बाद में इसे 31 मार्च 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क बिना किसी अंतिम तिथि के 31 मार्च के बाद भी जारी रहेगा।इसके अलावा पीली मटर का शुल्क-मुक्त आयात 31 मार्च के बाद भी जारी रहेगा बशर्ते कि उसका बिल 30 अप्रैल, 2024 या इससे पहले जारी किया गया हो।