हाइलाइट्स
-
बच्चों की अच्छी सेहत के लिए मां का सुपोषित होना बेहद जरूरी
-
हर बच्चे की अच्छी हेल्थ हाइट के लिए शुरु के 2 साल सबसे अहम
-
महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान 10 से 12 किलो वजन बढ़ाना जरूरी
भोपाल। Health And Nutrition Issue: जन्म के बाद किसी बच्चे की हाइट कितनी होगी, यह उसके दो वर्ष तक के पालन-पोषण और खानपान से निर्धारित होता है। इसलिए जन्म के बाद हर बच्चे की अच्छी हेल्थ और हाइट के लिए पहले दो वर्ष तक पोषण आहार और खान-पान के तरीके पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। बच्चे के जन्म से पहले हर गर्भवती महिला का वजन औसतन 10 से 12 किलो तक जरूर बढ़ना चाहिए। यह जानकारी बंसल न्यूज और यूनिसेफ द्वारा स्वास्थ्य और पोषण पर राज्य स्तरीय मीडिया वर्कशॉप में विषय विशेषज्ञों ने दी।
मां सुपोषित होगी तो बच्चा भी सुपोषित- डॉ. हिमानी
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी डायरेक्टर ( चाइल्ड हेल्थ) डॉ. हिमानी यादव ने में कहा, “प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) में उल्लेखनीय कमी आई है और यह ‘सुपोषित मां, सुपोषित बालक’ कैम्पेन की बड़ी उपलब्धि है।”
उन्होंने ‘पावर ऑफ़ मीडिया’ को रेखांकित करते हुए पिता के सीने पर लिपटे और गर्माहट लेती एक बच्ची की तस्वीर का जिक्र किया कि किस प्रकार दमोह के हटा कस्बे या यह फोटो बाल संरक्षण की जागरूकता में सहायक बना। उन्होंने बताया कि इस फोटो का समाज में इतना सकारात्मक प्रभाव हुआ कि पूरे जिले में शिशु स्वास्थ्य के इंडीकेटर में खासा सुधार हुआ।
प्रदेश में IMR और MMR राष्ट्रीय औसत से ज्यादा- डॉ.प्रशांत कुमार
मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) अभी भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। बच्चों के सुरक्षित जन्म के लिए संस्थागत प्रसव की दर वर्तमान में 90 फीसदी है। यानी 10 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं आज भी अस्पताल में या प्रशिक्षित एएनएम की देखरेख में बच्चों के जन्म देती हैं। प्रदेश के कई इलाकों में जन्म के बाद बच्चों के अनिवार्य टीकाकरण को लेकर भ्रम और भ्रांति की स्थिति है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और जागरूकता बढ़ने से आईएमआर और एमएमआऱ की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।
कैम्पेन में फ्रंट वर्कर्स की भूमिका है अहम – डॉ. संतोष शुक्ला
मध्य प्रदेश के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ संतोष शुक्ला ने वर्कशॉप में भाग लेने वाले मीडियाकर्मियों को बताया कि हमारे किसी भी अभियान की आधी मुश्किलें तभी हल हो जाती हैं, जब किसी कैम्पेन में फ्रंट वर्कर्स किसी भी योजना और स्कीम को सही तरीके से जनता के बीच ले जाते हैं। इसमें मीडिया की भी अहम भूमिका होती है।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार आशा और आंगनवाड़ी के फ्रंट वर्कर्स की मेहनत और योगदान की बदौलत मीजल्स-रूबेला सहित विभिन्न टीकाकरण अभियान में मध्य प्रदेश ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। प्रदेश में एक मजबूत मॉनिटरिंग सिस्टम बन चुका है। यही कारण है कि आज मध्य प्रदेश एक कमांड सेंटर बनकर उभरा है और देश के अधिकांश पायलट प्रोजेक्ट के लिए पहले मध्य प्रदेश को ही चुना जाता है।
सक्षम लोग कुपोषित बच्चों को गोद लें – शरद द्विवेदी
बंसल टीवी के न्यूज हेड शरद द्विवेदी ने कहा, “आज हमारी संवेदनशीलता कम होती जा रही है। सड़क के किनारे खड़े किसी कुपोषित बच्चे को देखकर हम रुकते हैं क्या? यह हमारी मनुष्यता पर एक बड़ा सवाल है?” उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य और सुनहरे भविष्य के लिए हम सभी को किसी कुपोषित बच्चों को गोद लेना चाहिए। इसकी शुरुआत हमारे पास-पड़ोस और घर से हो सकती है।
समाज को बदलने की जिम्मेदारी हम सबकी है, न कि केवल सरकार की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मीडियाकर्मी जितनी प्रमुखता शासन- प्रशासन से जुड़ी खबरों को देते हैं उतनी ही अहमियत कुपोषण और इसके कारणों को उजागर करने में दी जानी चाहिए।
मोटा अनाज पैकेज्ड फूड से बेहतर : नेहा बग्गा
मध्य प्रदेश बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा ने आधुनिक जीवनशैली में आज की मार्केटिंग और ब्राण्डिंग से प्रभावित जनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि किस तरह से हमारे पारंपरिक और पौष्टिक नाश्ता (Health And Nutrition Issue) दलिया और पराठा की जगह मैगी और कॉर्नफ्लेक्स ने ली है, जो किसी भी सूरत में हेल्दी फूड नहीं है।
उन्होंने कोदो-कुटकी-सांवा जैसे मोटे अनाज का उदाहरण दिया कि ये बाजार के पैकेज्ड ओट्स और कॉर्नफ्लेक्स से बेहतर हैं। स्वास्थ्य के लिए इसके महत्व और उपयोगिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हर कार्यक्रम में ‘पोषण की मटकी’ मंच पर रखना शुरू किया है। लेकिन, सारी जिम्मेदारी सरकार की नहीं है, हमें भी आंखें खोलनी होंगी, ‘आई ओपनर’ (Eye Opener) बनना होगा।
गर्भवती महिला का वजन 10 से 12 किलो तक बढ़ना जरूरीः पुष्पा अवस्थी
यूनिसेफ मप्र की न्यूट्रीशन एक्सपर्ट पुष्पा अवस्थी ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से मां और बच्चे के स्वास्थ्य, भोजन और पोषण के बीच के सह-संबंध को उजागर किया और बताया कि केवल गर्भावस्था ही नहीं बल्कि बाद में भी इसका ख़ास ध्यान रखा जाना जरुरी है।
उन्होंने गर्भवती महिला के पोषण (भोजन) और नौ महीने तक उसके वजन के बारे में बताया कि गर्भवती के वजन में कम-से-कम 10 से 12 किलोग्राम बढ़ोतरी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्वाभाविक तौर पर किसी मोटी महिला का वजन भी कम-से-कम आठ किलो बढ़ना चाहिए। यह स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए जरुरी है।
उन्होंने कहा कि यदि हम मां और बच्चे के स्वास्थ्य और विकास पर एक डॉलर खर्च करते हैं, तो वह भविष्य में 16 डॉलर का रिटर्न देकर जाता है.
मुरैना में चाइल्ड सेक्स रेशियो की चुनौतीः तोमर
महिला एवं बाल विकास विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर सुरेश तोमर ने वर्कशॉप में मुरैना जिले के बाल लिंगानुपात (Child Sex Ratio) का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में सबसे कम ‘चाइल्ड सेक्स रेशियो’ इसी जिले में है। इसका मुख्य कारण सामाजिक और सांस्कृतिक है। यहां की कुछ जनजातीय आबादी नवजात लड़कियों को खत्म कर देना गलत नहीं मानती थीं। लेकिन अब इस सोच में तेजी से बदलाव आ रहा है।
उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, मुरैना में ‘चाइल्ड सेक्स रेशियो’ 1000 पुरुष शिशु पर मात्र 829 महिला शिशु है। लेकिन इसमें सुधार के लिए सरकार ने अथक प्रयास किया है। उन्होंने दावा कि अगली जनगणना में यह अनुपात (Ratio) 829 से बढ़कर 929 नहीं, बल्कि 950 से अधिक होगा।
समाज की समस्याएं ताकत के साथ सरकार तक पहुंचाए मीडियाः सुनील शुक्ला
बंसल न्यूज के एडिटर (डिजिटल) सुनील शुक्ला ने कहा कि समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए मीडिया को ज्यादा संवेदनशील होकर उसके कारणों के सरकार और समाज के सामने लाने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि मीडिया आज के समय में जितनी ऊर्जा सरकार की बात जन-जन तक पहुंचाने में लगाता है, उतनी ही ताकत के साथ समाज से जुड़ी समस्याएं और उनके कारण शासन-प्रशासन तक पहुंचाई जाईं।
कुपोषण से निपटने में मीडिया का योगदान अहमः गुलाटी
यूनिसेफ मप्र के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने स्वास्थ्य और कुपोषण से जुड़ी समस्याएं उजागर करने और इनके समधान के लिए समाज में जागरूकता लाने में मीडिया की भूमिका को प्रभावी बताया। उन्होंने इस मुद्दे पर मीडिया के मैदानी रिपोर्टर और स्ट्रिंगर को जागरूक और संवेदनशील बनाने के अभियान में बंसल न्यूज की सकारात्मक भूमिका की सराहना की।
यह भी पढ़ें: मशीन से खाने की क्वालिटी होगी चेक! कुपोषण खत्म करने के लिए सरकार की अनोखी मुहिम