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उज्जैन में धार्मिक अनुष्ठान और विज्ञान का संगम: क्या वाकई यज्ञ से होती है बारिश? वैज्ञानिक करेंगे रिसर्च

ujjain rainfall scientific research: उज्जैन में बारिश के लिए हो रहे सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान पर मौसम वैज्ञानिक और IITM की टीम रिसर्च कर रही है। इस अनोखे आयोजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक के 25 पुजारियों द्वारा यज्ञ किया जा रहा है।

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Abdul Rakib
उज्जैन में धार्मिक अनुष्ठान और विज्ञान का संगम: क्या वाकई यज्ञ से होती है बारिश? वैज्ञानिक करेंगे रिसर्च

हाइलाइट्स

  • अच्छी बारिश के लिए उज्जैन में सौमिक सुवृष्टि यज्ञ का आयोजन
  • महाराष्ट्र-कर्नाटक से 25 पुजारी कर रहे अनुष्ठान
  • अनुष्ठान में IITM और IMD की टीमें करेगी रिसर्च
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ujjain rainfall scientific research: मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर में ऐसा ही एक अनूठा आयोजन हो रहा है, जहां देशभर में अच्छी बारिश के लिए पुजारी यज्ञ कर रहे हैं और वैज्ञानिक इसकी प्रभावशीलता को परखने के लिए रिसर्च करेंगे। अच्छी बारिश की कामना के साथ उज्जैन में 24 से 29 अप्रैल तक “सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान” का आयोजन किया जा रहा है।

इस अनुष्ठान में महाराष्ट्र और कर्नाटक से आए 25 अनुभवी पुजारी हिस्सा ले रहे हैं। अच्छी बारिश के लिए यह आयोजन महाकाल मंदिर परिसर के अन्न क्षेत्र में किया जा रहा है। बारिश के लिए पारंपरिक अनुष्ठान और आधुनिक विज्ञान जब साथ आएं, तो परिणाम दिलचस्प हो सकते हैं। इस आयोजन का उद्देश्य धार्मिक परंपरा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सिद्ध करना है।

महाकाल की नगरी में यज्ञ पर वैज्ञानिक अध्ययन

खास बात यह है कि इस धार्मिक अनुष्ठान को वैज्ञानिक नजरिए से भी परखा जा रहा है। रिसर्च के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरियोलॉजी (IITM), भोपाल और मौसम विभाग (IMD) की टीम यज्ञ से निकलने वाली गैस और कणों का विश्लेषण करेगी। टीम के साथ आधुनिक उपकरण जैसे ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS), तेथर सोनडे, SMPs आदि लगाए गए हैं, इसके माध्यम से हवा की गति, तापमान, आर्द्रता, रेडिएशन सहित 7 पैरामीटर पर डेटा रिकॉर्ड के आधार अध्ययन किया जाएगा।

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IITM और IMD की टीमें यज्ञ की शक्ति पर करेगी परीक्षण

उज्जैन में यह पहली है कि मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की टीम और IITM के स्टूडेंट्स किसी धार्मिक अनुष्ठान की रिसर्च करेंगे। बारिश को लेकर यज्ञ के बीच रिसर्च टीम ने अपने साथ बड़े-बड़े इंस्टूमेंट्स लेकर आई है। जिसके जरिए यज्ञ से उठने वाली ज्वाला से निकले पार्टिकल की जांच होगी है। इससे देखा जा रहा है कि अनुष्ठान से वायुमंडल में किस प्रकार का बदलाव आता है? इस तरह के यज्ञ बारिश के लिए कितने कारगर सिद्ध होते हैं?

अनुष्ठान में वैज्ञानिक क्या देख रहे हैं?

IITM के वैज्ञानिक डॉ. यांग लियन, डॉ. सचिन और डॉ. स्टेनी बेनी और डॉ. अनिल कोठरी के नेतृत्व में यह जांच की जा रही है कि यज्ञ से वातावरण में क्या रासायनिक या भौतिक परिवर्तन होते हैं जो वर्षा के कारक बन सकते हैं। आईआईटीएम के वैज्ञानिक 29 अप्रैल तक रिसर्च करेंगे। जिसमें सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान से निकलने वाली किरणों के पार्टिकल और वायुमंडल में होने वाले बदलाव को लेकर रिसर्च की जाएगी।

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12 ज्योतिर्लिंगों में किए जाएंगे यज्ञ

महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान के सहयोग से चल रहे इस अनुष्ठान का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि प्राकृतिक संतुलन की पुनर्स्थापना भी है। प्रमुख पुजारी चैतन्य नारायण काले के अनुसार, देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों में इस प्रकार के यज्ञ किए जाएंगे ताकि वर्षा संतुलित हो सके। उन्होंने बताया कि अनुष्ठान के लिए महाकाल मंदिर के अन्न क्षेत्र के सामने विशाल यज्ञ शाला तैयार की गई है। यह अनुष्ठान पिछले वर्ष भी किया गया था और इस बार इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी परखा जा रहा है, जिससे भविष्य में ऐसे आयोजनों की वैधता और उपयोगिता को प्रमाणित किया जा सके।

अनुष्ठान में वैज्ञानिक करेंगे रिसर्च

मध्य प्रदेश विज्ञान परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठरी ने बताया कि हम सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान का पहली बार अनुसंधान कर रहे हैं। IIT और IMD की टीमें एक्सपर्ट के साथ, सभी संसाधनों के साथ अनुष्ठान का धार्मिक और वैज्ञानिक प्रभाव देखने के लिए रिसर्च में लगी हैं। वैज्ञानिक 7 पैरामीटर्स जैसे तापमान, हवा, आर्द्रता आदि पर डेटा रिकॉर्ड कर रहे हैं।

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