Ujjain Shivnavratri 2023 : 10 फरवरी ये महाकाल में बदल जाएगा आरती और भोग का समय, ये है नया टाइम

Ujjain Shivnavratri 2023 : 10 फरवरी ये महाकाल में बदल जाएगा आरती और भोग का समय, ये है नया टाइम

उज्जैन। Ujjain Shivnavratri 2023  बाबा के विवाह की तैयारी शुरू हो गई हैं। Ujjain Shivnavratri 2023  उज्जैन में महाकाल का विवाह उत्सव यानि महाशिवनवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हो जाएंगी। जिसके चलते यहां मंदिर में सामान्य रूप से होने वाली पूजा और भोग के समय में परिवर्तन किया गया है। जी हां इसके लिए तैयारियां की जा चुकी हैं। नया समय 10 फरवरी से लागू हो जाएगा। चलिए जानते हैं क्या होगी नई व्यवस्था।

पहले ये था समय — Ujjain Shivnavratri 2023 
आपको बता दें ज्योर्तिलिंग श्री महाकालेश्वर की पूजन परपंरा में रोजाना सुबह 10.30 बजे भोग आरती तथा शाम को 5 बजे संध्या पूजा होती है। लेकिन 10 फरवरी से शिव नवरात्रि प्रारंभ होने पर अभिषेक पूजन के चलते भोग आरती व संध्या पूजन का समय बदल दिया गया है। चूंकि महाकालेश्वर में शिवरात्रि महापर्व का आयोजन 10 फरवरी से पूरे 9 दिन तक चलेगा। इसलिए अब ये परिवर्तन किया जा रहा है। शिवनवरात्रि के कारण महाकाल मंदिर में रोजाना सुबह 10.30 बजे होने वाली भोग आरती का समय दोपहर 1 बजे कर दिया गया है। तो वहीं शाम को होने वाली संध्या आरती का समय 2 घंटे कम करके शाम पांच बजे की बजाय दोपहर 3 बजे कर दिया गया है। ये समय पूरे 9 दिन के लिए रहेगा।

महाशिवरात्रि के दिन होंगे ये कार्यक्रम —Ujjain Shivnavratri 2023  
आपको बता दें महाशिवरात्रि के दिन रात में भगवान का महानिशा काल भोलेनाथ का पूजन किया जाएगा। 19 फरवरी को अलसुबह तड़के 4 बजे शिवजी का सप्तधान मुखारविंद धारण करवाकर उनके शीश पर सवा मन फल व फूलों से बना मुकुट धारण करवाया जाएगा। इसके बाद सुबह 11 बजे से सेहरा उतारने के बाद वर्ष में एक बार दोपहर में भस्म आरती होगी। वहीं भस्म आरती के बाद दोपहर में ही भगवान को भोग अर्पित कर आरती होगी। इसी दिन मंदिर के पुजारी-पुरोहितों को मंदिर समिति द्वारा पारणा करवाया जाएगा।

शुरू हुई कोटितीर्थ कुंड की सफाई — Ujjain Shivnavratri 2023 
18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व को लेकर श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित Ujjain Shivnavratri 2023  कोटितीर्थ कुुंड की सफाई शुरू हो गई है। इतना ही नहीं यहां कुंड के पुराने पानी को खाली कराकर साफ किया जा रहा है। मंदिर की पु​ताई के साथ—साथ कुंड की रंगाई भी की जा रही है।

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