Train AC Coach Blanket Controversy: भारतीय रेलवे की ओर से ट्रेनों के AC कोचों में दिये जाने वाले बेडरोल कई दिनों से चर्चा का विषय बनें हुए हैं। कांग्रेस पार्टी के गंगानगर से सांसद कुलदीप इंदौरा ने संसद में सवाल किया कि ट्रेनों में मिलने वाले कंबल कितने दिनों में धोए जाते हैं। इसके जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि एक महीने में कम से कम एक बार जरूर कंबलों को धोया जाता है।
इसके बाद से रेलवे की तरफ से ये स्पष्ट किया गया कि ट्रेनों में मिलने वाली चादरें और तकिये के कवर रोजाना धोए जाते हैं और कंबल महीने में एक बार धुलते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि ट्रेनों के एसी कोचों में दिये जानें वाले कंबल कितने साफ सुथरे हैं।
8 हजार बेडशीट और 200 कंबलों की हर दिन धुलाई
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रेलवे की मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री है। इस लॉन्ड्री में अत्याधुनिक मशीनों से धुलाई से लेकर प्रेस और सैनेटाइज तक की व्यवस्था है।
रेलवे की मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री: ऐसे तैयार होते हैं बेडरोल, जानें ट्रेनों के AC कोच में मिलने वाले कंबल कितने साफ सुथरे!
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भोपाल की मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री में हर दिन 8 हजार बेडशीट और 200 कंबलों को धोया जाता है। बता दें कि एक बेडरोल में दो बेडशीट, एक कंबल, एक तकिया, एक पिलो कवर और एक छोटा टाबिल होता है।
भाप से नष्ट किये जाते हैं कंबल के बैक्टीरिया
कंबल के बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए लॉन्ड्री में स्टेरिलीज़िंग मशीन का उपयोग होता है।
यहां 115 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर भाप के माध्यम से कंबल के बैक्टीरिया को नष्ट किया जाता है। बैक्टीरिया नष्ट होने के बाद इसे धुलाई के लिए अन्य मशीन में डाला जाता है।
इस प्रोसेस से होकर गुजरती है बेडशीट
1. छंटाई और निरीक्षण: उपयोग किए गए बेडशीट को लॉन्ड्री में पहुंचने पर छांटा जाता है और किसी भी फटे हुए लिनन को अलग किया जाता है।
2. प्री-ट्रीटमेंट: दाग-धब्बों को हटाने के लिए लिनन यानी बेडशीट पर प्री-ट्रीटमेंट किया जाता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि धुलाई के बाद बेडशीट पूरी तरह से साफ हो।
3. स्वचालित धुलाई: बेडशीट को बड़े औद्योगिक वॉशिंग मशीनों में डाला जाता है। पानी के तापमान और धुलाई के समय का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि बैक्टीरिया और विषाणुओं का नाश हो सके।
4. सुखाने की प्रक्रिया: धुले हुए बेडशीट को टंबल ड्रायर में सुखाया जाता है, जिससे अतिरिक्त सैनेटाइजेशन होता है।
5. प्रेसिंग और फोल्डिंग: सुखाने के बाद, बेडशीट को प्रेस किया जाता है और सही तरीके से पैकेजिंग साइज के अनुसार मोड़ा एवं पैक किया जाता है।
6. गुणवत्ता नियंत्रण: व्हाइटनेस मीटर द्वारा धुले हुए बेडशीट की सफेदी चेक होती है। यदि ये 75 प्रतिशत से कम है तो इसे दोबारा धोया जाता है।
क्या महीने में एक बार ही धोए जाते हैं कंबल?
सबसे बड़ा सवाल ये ही है कि ट्रेनों के एसी कोच में मिलने वाले कंबल कितने दिन में धोए जा रहे हैं, तो आपको बता दें कि ये महीने में एक ही बार धोए जाते हैं। हां…यदि कोई कंबल उससे पहले बेहद गंदा दिखाई देता है तो उसे जरुर चेंज कर लॉन्ड्री भेज दिया जाता है।
रेलवे जिन कंबलों को यूज करता है उनमें इनकी एक्सपायरी भी लिखी होती है। सामान्यत: निर्माण के दो साल बाद इन्हें सर्विस से बाहर यानी कंडम कर दिया जाता है।
इन 20 ट्रेनों में होती है बेडरोल की सप्लाई
भोपाल की मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री से 20 ट्रेनों को बेडरोल सप्लाई किये जाते हैं। इन ट्रेनों में प्रमुख रूप से शान ए भोपाल एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस, रीवांचल एक्सप्रेस, उर्जाधानी एक्सप्रेस, भोपाल-प्रतापगढ़ एक्सप्रेस, रानी कमलापति-अगरतला एक्सप्रेस, सहरसा एक्सप्रेस, भोपाल-रीवा एक्सप्रेस आदि शामिल हैं।
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