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Tourism News: मसूरी में पर्यटकों की संख्या हो सकती है सीमित, एनजीटी पैनल ने की यह सिफारिश

देहरादून। Tourism News: मसूरी की वहन क्षमता का अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) द्वारा नियुक्त पैनल ने पहाड़ों की रानी...

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Bansal News
Tourism News: मसूरी में पर्यटकों की संख्या हो सकती है सीमित, एनजीटी पैनल ने की यह सिफारिश

देहरादून। Tourism News: मसूरी की वहन क्षमता का अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) द्वारा नियुक्त पैनल ने पहाड़ों की रानी आने वाले पर्यटकों पर शुल्क लगाकर उनकी संख्या को नियंत्रित करने तथा उस एकत्रित धन से शहर में कूड़ा तथा सफाई व्यवस्था का प्रबंधन करने की सिफारिश की है।

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साल की शुरूआत में जोशीमठ में आए भूधंसाव के संकट को मसूरी के लिए चेतावनी बताने वाली एक खबर के मद्देनजर राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) ने मसूरी की वहन क्षमता का अध्ययन करने के लिए इस पैनल का गठन किया था।

कई उपाय सुझाए गए

इस पैनल ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपीं, जिसमें कई उपाय सुझाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, 'क्षेत्र की वहन क्षमता, खासकर पार्किंग और अतिथि गृहों की उपलब्धता को देखते हुए पर्यटकों का पंजीकरण किया जाना चाहिए। मसूरी घूमने के लिए पर्यटकों से शुल्क लिया जा सकता है और उस धन का इस्तेमाल कूड़े और सफाई के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।'

मसूरी को उत्तराखंड में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 से पहाड़ों की रानी में आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है और 2022 में यहां अप्रत्याशित रूप से 1,17,389 सैलानी पहुंचे।

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यह बढ़ सकती है समस्या

रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटकों की भारी आमद अनियमित निर्माण, अत्यधिक अपशिष्ट उत्पादन, स्वच्छता और सीवेज समस्याओं, पानी की कमी, भीड़भाड़ वाली सड़कों, यातायात की भीड़ और वाहन प्रदूषण जैसे मुद्दों को और बढ़ा देती है।

गढ़वाल हिमालय की तलहटी पर स्थित मसूरी भूकंप की दृष्टि से जोन चार में आता है और इस दृष्टि से रिपोर्ट में उसे जोशीमठ के रास्ते पर जाने से बचाने के लिए कई एहतियाती और उपचारात्मक कदम उठाने का सुझाव दिया गया है।

अध्ययन किया जाना चाहिए

मसूरी में वर्षों से अनियोजित और अस्त-व्यस्त बुनियादी ढांचा विकास का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां सुरंग तथा होटल और अस्पताल जैसे अन्य बड़े निर्माण की अनुमति दिए जाने से पहले विस्तृत इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिक और भूतकनीकी जांच/अध्ययन की जानी चाहिए।

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रिपोर्ट में मौजूदा इमारतों की जांच और संरचनाओं की रिट्रोफिटिंग को मजबूत करने की सिफारिश भी की गई है जिससे उन्हें फिसलने या ढहने के संभावित नुकसान से बचाया जा सके। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में पहाड़ों के नीचे से बोल्डर न हटाने और ढलानों पर दिखने वाली दरारों को भरने का सुझाव भी रिपोर्ट में दिया गया है।

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