आप सोच रहे होंगे कि थियेटर की तरह घर में भी हम टीवी,मोबाइल, बंद लाइट में देखेंगे तो अधिक मजा आयेगा लेकिन ये आपकी गलतफेहमीं है। और हो सकताहै कि ये लापरवाही आपकी आंखों को कमजोर कर दे बहुत कमजोर…
क्या खराब असर होगा
अंधेरे कमरे में टीवी देखने से दो हानिकारक असर होते हैं। अंधेरे में टीवी के पर्दे से आने वाले प्रकाश के कारण आंखें चकाचौंध होने लगती हैं। अगर आप अंधेरे कमरे में पास ही बैठकर टीवी देख रहे हों तो ये असर और ज्यादा हो जाता है। इसका असर आंखों पर बहुत बुरा पड़ता है।
हिलते हुए चित्रों और लगातार बदलते हुए लाइट इफेक्ट्स से नुकसान
अंधेरे कमरे में टीवी देखने से उसके पर्दे पर आते-जाते और हिलते हुए चित्रों के साथ इनके प्रकाश का इफेक्ट भी बहुत ज्यादा हो जाता है। आंख इनसे एडजस्ट नहीं हो पाती और उसमें थकान होने लगती है या ज्यादा जोर पड़ने लगता है।
हल्की लाइट कमरे में जरूर रखें
इसलिए जब भी टीवी देखें तब कमरे को पूरा अंधेरा नहीं रखें। उसमें हल्का प्रकाश जरूर रखें। टीवी से कम से कम 03-04 मीटर की दूरी पर बैठें तो अच्छा होगा। टीवी की ऊंचाई भी कम से कम चार फुट जरूर होनी चाहिए ताकि उसे देखते समय आंखों को नीचे की ओर झुकाना नहीं पड़े।
लैपटॉप को अंधेरे में देखना और भी नुकसानदायक
अब बात लैपटॉप की। बहुत यंग प्रोफेशनल्स की आदत अब अंधेरे में बैठकर लैपटॉप पर काम करने और उसके साथ घंटों बिताने की हो गई है। ये तो टीवी को अंधेरे में बैठकर देखने से भी ज्यादा नुकसानदायक है। अगर हम अपने कंप्युटर और स्मार्ट फोन के साथ ज्यादा इस तरह कर रहे हैं तो अंधे भी हो सकते हैं।
आंखें ड्राई और लाल होने लगती हैं
लैपटॉप, कंप्युटर और स्मार्ट फोन से ब्लू रेज निकलती हैं जो आंखों के लिए काफी प्रॉब्लम करती हैं। जब हम घंटों के लिए लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन पर नजरें गड़ाते हैं तो आंखों को झपकाना भी भूल जाते हैं, इससे आंखें ड्राई हो जाती हैं और इनमें लालिमा आ जाती है, इसे रेड आई सिंड्रोम भी कहते हैं।
स्क्रीन को किस मोड पर देखें
ऐसे में हमें जीरो आई स्ट्रेन स्क्रीन मोड सेट करना चाहिए ताकि आंखों के लिए कम परेशानी हो। इन स्क्रीन पर अंधेरे में लंबे समय तक बैठने से तनाव बढ़ना, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। हालांकि आजकल बहुत सी स्क्रीन एडवांस लाइट कंट्रोल के साथ आती हैं जो ब्लू रेज को फिल्टर करती हैं।