पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था मंदिर-मस्जिद विवाद सही नहीं है. उस वक्त उनके बयान पर जमकर सियासी बयानबाजी हुई थी. संघ के अंग्रेजी मुखपत्र आर्गनाइजर ने भी शायद उसको लेकर संपादकीय लिखा था. जिसके बाद कई तरह की सियासी बाते हुई थीं. अब संघ के हिंदी मुखपत्र पांचजन्य ने भागवत के बयान का समर्थन किया है. शायद भागवत के बयान को छोटे परिपेक्ष्य में देखने की कोशिश की गई है. जबकि उनके बयान में भविष्य के बड़े संकेत छिपे हैं. उन्हीं संकेतों पर हम आज करेंगे चर्चा.
हे प्रभु आनंददाता: क्या है लोकोपवाद, दूसरों की बातों को कितना महत्त्व दें?
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