भोपाल। आज का मुद्दा: टिकट बंटवारे को लेकर कर्नाटक में बीजेपी ने जो फॉर्मूला अपनाया है। अगर वो सफल रहा, तो मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव में नेताओं के बेटे-बेटियों के टिकट मिलने का रास्ता साफ हो सकता है। दरअसल, कर्नाटक में बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए अपने बुजुर्ग नेताओं को टिकट देने की बजाय। उनके बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को टिकट दिया है। ये रिपोर्ट देखिए…
यदि जीत पक्की है तो बीजेपी को परिवारवाद से दिक्कत नहीं
अगर कर्नाटक में बीजेपी ने जीत के झंडे गाड़े तो ये मान लीजिए इसका असर छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश में भी दिखेगा। क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 से ज्यादा मंत्रियों-विधायकों और सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट दिए हैं। यदि जीत पक्की है तो बीजेपी को परिवारवाद से दिक्कत नहीं है। वहीं रिश्तेदारों को टिकट देकर बीजेपी ने संकेत दिया है कि फार्मूला आगे भी अपनाया जा सकता है, तो क्या कर्नाटक के नतीजे ये तय कर देंगे कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में बीजेपी इस फॉर्मूले पर आगे बढ़ेगी या नहीं।
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कई मंत्रियों के रिश्तेदारों का नाम शामिल
भले ही फैसला बीजेपी की परिवारवाद पर राजनीतिक लाइन से विपरीत रहा हो, लेकिन जानकार इसे दक्षिणी राज्य में बीजेपी की जीत की ओर एक मजबूत कदम मान रहे हैं, क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी ने जिन नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया है, उनमें पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र, पूर्व CM एस. बंगारप्पा के बेटे कुमार बंगारप्पा, पर्यटन मंत्री आनंद सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह, कोप्पल सांसद कराडी संगन्ना की बहू मंजुला अमरेश, गुलबर्गा सांसद उमेश जाधव के बेटे अविनाश जाधव समेत कई मंत्रियों के रिश्तेदारों का नाम शामिल हैं। इधर, कांग्रेस को मौका मिल गया है कि वो परिवारवाद पर बीजेपी को घेर सके।
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ये साफ हो जाएगा कि फॉर्मूला कितना कारगर
कर्नाटक फॉर्मूला की सफलता मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में बीजेपी के टिकट बंटवारे की दिशा तय कर सकती है। क्योंकि मध्यप्रदेश में ऐसे दर्जनभर नेता हैं, जिनके बेटा-बेटी चुनावी लॉन्चिंग के लिए तैयार हैं। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन का नाम आ रहा है। वहीं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पिछले चुनाव में बेटे आकाश विजयवर्गीय को राजनीतिक विरासत पहले ही सौंप चुके हैं, लेकिन अब इंतजार कर्नाटक चुनाव के नतीजों का है। इसके बाद ये साफ हो जाएगा कि ये फॉर्मूला कितना कारगर रहा।
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