Advertisment

World Photography Day 2024: फोटोग्राफी दिवस के खास मौके पर देखिए दुनिया की 10 चौंकाने वाली तस्‍वीरें, जानें इनका इतिहास

World Photography Day 2024: ऐसा कहा जाता है कि तस्‍वीर कभी नहीं मरती है। एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर मानी जाती है।

author-image
Aman jain
World Photography Day 2024

World Photography Day 2024

World Photography Day 2024: ऐसा कहा जाता है कि तस्‍वीर कभी नहीं मरती है। एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर मानी जाती है। आज वर्ल्ड फोटोग्राफी डे के इस खास मौके पर हम आपको भारत देश के साथ-साथ दुनिया की चुनिंदा ऐसी 10 तस्वीरों से मिलाने जा रहे हैं जो अपने आप में पूरा इतिहास समेटे हुए हैं। इतिहास के साथ-साथ इन तस्‍वीरों में एक संदेश भी छिपा हुआ है। आप भी इन तस्‍वीरों को देखकर चौंक जाएंगे। आइए देखते हैं.........

Advertisment

मोबाइल पुस्तकालय

publive-image

भारत में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पहली बार 1906 में बड़ौदा राज्य ने शुरू की गई थी। इस तस्वीर में आप आगे से पीछे तक किताबों से भरा एक वाहन देख सकते हैं। चौकाने वाली बात यह है कि ये तस्वीर ऐसे समय में ली गई थी जब मोटर चालित वाहन दुर्लभ थे। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III ने 500 सार्वजनिक मोबाइल पुस्तकालयों की शुरुआत की थी।

जेआरडी टाटा के क्रैश कोर्स के 10 दिन

publive-image

इस तस्वीर में जेआरडी टाटा को जापान में अपनी बहन सिला के साथ देखा जा सकता है। इस तस्‍वीर के पीछे कहानी है कि उन्होंने 1918 में भारत वापस आने के दौरान एक जापानी नाव पर बिताए 10 दिनों के दौरान टाइपिंग सीखी थी। उस समय सीखी गई टाइपिंग का फायदा उन्हें वर्षों बाद तब मिला, जब उन्होंने टाटा साम्राज्य का नेतृत्व किया।

नागासाकी के ऊपर बना बादल-1945 

publive-image

लिटिल बॉय नामक परमाणु बम से जापान के हिरोशिमा को नष्ट करने के तीन दिन बाद अमेरिकी सेना ने नागासाकी पर फैट मैन नाम का एक और भी शक्तिशाली बम गिराया था। जिससे रेडियोधर्मी धूल और मलबे का 45 हजार फुट ऊँचा मशरूम जैसा दिखाई देने वाला बादल बन गया था।

Advertisment

गांधी एंड द स्पिनिंग व्हील-1946

publive-image

जब अंग्रेजों ने साल 1932 से 1933 में गाँधी जी को पुणे की यरवदा जेल में बंदी बनाकर रखा था तो गाँधी जी ने एक चरखे का प्रयोग कर धागा बनाना शुरू कर दिया था। गांधी ने अपने देशवासियों को ब्रिटिश सामान खरीदने के बजाय अपने भारतीय कपड़ा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था।

होमी भाभा अपने समकक्ष वैज्ञानिकों के साथ

publive-image

इस तस्वीर में उन महान लोगों को देखा जा सकता है जो इतिहास के पाठ्यक्रम को बदलने के लिए आगे बढ़े- अल्बर्ट आइंस्टीन, युकावा (नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले जापानी) और जॉन व्हीलर (जिन्होंने ‘ब्लेक होल’ शब्द दिया) के साथ हमारे होमी भाभा।

चांद पर इंसान का पहला कदम

publive-image

अमेरिकी अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग वह इंसान हैं जिन्‍होंने पहली बार दुनिया में पहली बार चंद्रमा की धरती पर कदम रखा था। यह कदम साल 1969 में रखा था। इस मिशन का नाम अपोलो-11 था।

Advertisment

चांद से उगती दिखी धरती

publive-image

अपोलो मिशन के दौरान ही 1969 में यह अद्भुत तस्वीर चर्चा में आई थी। यह तस्वीर में चांद से धरती का उदय होता दिखाई दे रहा है। इस तस्वीर को Earthrise from Moon के नाम से जाना जाता है।

भारत में पहला शतरंज का ओलंपियाड पदक भोपाल से

publive-image

भोपाल के रफीक खान, एक गरीब बढ़ई के बेटे थे। 1976 में नेशनल बी चैंपियनशिप में 13/15 के बड़े स्कोर के साथ उनकी जीत ने शतरंज समुदाय का ध्यान उनकी ओर आकर्षित किया। उनकी किस्मत ने तब करवट ली, जब एक पत्रिका में उन पर लिखी कहानी तत्कालीन उद्योग मंत्री, जॉर्ज फर्नांडिस के पास पहुंची। मंत्री ने उन्हें भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) में नौकरी देकर बेहतर आजीविका पाने में मदद की, जो रफीक के शतरंज करियर में एक मील का पत्थर साबित हुई। इसके बाद 1980 में, माल्टा में, उन्होंने रजत पदक जीता और शतरंज ओलंपियाड में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। इस जीत के बाद, जब खान घर लौटे, तो भोपाल में उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक शतरंज खेलना जारी रखा था।

तस्वीर को निकालने वाले फोटोग्राफर ने ले ली थी अपनी जान

publive-image

सूडान में भुखमरी को दिखाती यह तस्‍वीर फोटोग्राफर केविन कार्टर ने साल 1993 में क्लिक की थी। उन्हें फीचर फोटोग्राफी के लिए पुलित्जर प्राइज भी मिला लेकिन लोगों ने इस तस्वीर को लेकर उनकी बहुत आलोचना की। लोगों ने उनसे कहा कि जब गिद्ध इस बच्चे पर नजरें गड़ाए था तब वह भी गिद्ध की तरह अपना कैमरा इस बच्चे पर गड़ाकर बैठ गए। स्वीर पर दुनियाभर में हुई चर्चा के बाद कार्टर गहरे डिप्रेशन में चले गए और 33 साल की उम्र में अपनी जान ले ली थी।

Advertisment

सिचुएशन रूम-2011

publive-image

ये फोटो तब ली गई है जब ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिका ने अभियान चलाया था। इस तस्वीर में साफ दिख रहा है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा किस तरह से इस अभियान को लाइव देख रहे थे। इसके बाद राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस से एक राष्ट्रीय संबोधन में, घोषणा की कि थी की ओसामा बिन लादेन मारा गया है, लेकिन लादेन के मृत शरीर की तस्वीरें कभी भी जारी नहीं की गईं है।

यह भी पढ़ें- Delicious Vegkorma Recipe: अब वेजेटेरियन लोग भी उठा सकते हैं कोरमा का स्वाद, ये रही परफेक्ट रेसिपी, नोट करें

World Photography Day photography significance capturing moments documenting history universal language of images World photography day 2024 World photography day 2024 in India World photography day 2024 theme World photography day 2024 in hindi World photography day 2024 date World photography day 2024 theme India World photography day history World photography day significance World photography day quotes World photography day 2024 speech
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें