हाइलाइट्स
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मध्य प्रदेश में भारत के सबसे ज्यादा 785 से अधिक बाघ
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टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में आते हैं पर्यटक
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दो साल में पर्यटकों की संख्या दोगुनी होने से 13% तक बढ़ी आय
Tiger Tourism in MP: देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में है। एमपी में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ साथ सरकारी खजाना भी भर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day 2024) पर हम बात करेंगे मध्य प्रदेश में बढ़ते बाघ पर्यटन की।
सरकारी आंकड़ों की ही बात करें तो यहां बाघ पर्यटन तेजी से फला फूला है।
दो साल में पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गई है। इससे वन विभाग की आय भी 13% तक बढ़ गई है।
टाइगर स्टेट में आपका स्वागत है
वर्ष 2018 की गणना में जहां मध्य प्रदेश में 526 बाघ थे, वहीं अब इनकी संख्या 785 से अधिक हो गई है।
जिसके कारण प्रदेश के नेशनल पार्क और अभयारण्यों में पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट है। इसलिए यहां बड़ी संख्या में बाघ को देखने पर्यटक पहुंचते हैं।
लिहाजा यहां के नेशनल पार्क और अभयारण्यों में पर्यटकों के लिये तमाम सुविधाएं मौजूद रहती है।
26 लाख पर्यटक से 55 करोड़ कमाए
साल 2023 में एमपी में बाघों को देखने के लिए 26 लाख 49 हजार पर्यटक पहुंचे थे।
इनसे वन विभाग को करीब 55 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जोकि साल 2022 की तुलना में 7 करोड़ रुपये अधिक है।
2022 में यहां 23.90 लाख और साल 2021 में 13.96 लाख पर्यटक पहुंचे थे।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में पहुंचे सबसे अधिक पर्यटक
जुलाई 2023 से जून 2024 तक की बात करें तो सबसे अधिक पर्यटक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में पहुंचे। इनकी संख्या 3.49 लाख से अधिक है।
मध्य प्रदेश में बढ़ रहा बाघ पर्यटन: दो साल में दोगुने हुए पर्यटक, 13 प्रतिशत आय भी बढ़ी, आप भी यहां उठा सकते हैं लुत्फhttps://t.co/jX6CSYQ08c@narendramodi @byadavbjp @DrMohanYadav51 @minforestmp @MPTourism @ntca_india @moefcc #InternationalTigerDay #tigertourism… pic.twitter.com/dydmQft5hV
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) July 29, 2024
इसी समय सीमा में कान्हा टाइगर रिजर्व में 2.41 लाख, पन्ना टाइगर रिजर्व में 2.34 लाख और बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 1.78 लाख पर्यटक पहुंचे।
पर्यटकों के कारण बढ़ रहा आसपास रोजगार
मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व शनिवार और रविवार को अधिकांश फुल रहते हैं।
टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या की वजह से जहां पर्यटक बढ़ रहे हैं, वहीं आसपास के क्षेत्रों में रोजगार भी बढ़ रहा है।
खान-पान की चीजों से लेकर विलासिता से संबंधित चीजों पर लोग खुल कर खर्च करते हैं।
इससे छोटे-बड़े व्यवसायों में अच्छी आमदनी हो रही है। गाइड की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
यहां उठाएं टाइगर टूरिज्म का लुत्फ
कान्हा नेशनल पार्क: यह नेशनल पार्क (Kanha National Park) सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख नेशनल पार्क में से एक है। यह 1 जून 1955 में बनाया गया था।
जिसके बाद यह पार्क बाघ अभयारण्य बना। मंडला और बालाघाट में 940 किलोमीटर के क्षेत्र में बना हुआ यह नेशनल पार्क काफी ज्यादा फेमस है। यह पार्क भारत का पहला बाग अभयारण्य भी है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान: यह पार्क (Bandhavgarh National Park) उमरिया जिले में बना हुआ है। यह मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध पार्क है।
यहां आपको टाइगर देखने के साथ-साथ कई सारे जानवर देखने को मिलते हैं। यह 1993 में टाइगर रिजर्व बना यह पार्क बाघ को देखने के लिए अब तक का सबसे बड़ा पार्क है।
पन्ना नेशनल पार्क: यह पार्क (Panna National Park) बाघों के लिए सबसे ज्यादा जाना माना राष्ट्रीय उद्यान है। यहां दूर-दूर से लोग बाघों की तस्वीरें खींचने के लिए आते हैं।
यह पार्क 1995 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। आपको बता दें मार्च के 2009 में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में दो टाइगर्स को ट्रांसफर किया गया था।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व: यह फेमस पार्क (Satpura National Park) सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है। यह नर्मदा पुरम होशंगाबाद जिले में बना हुआ है।
इस पार्क का नाम सतपुड़ा रेंज से चुना गया है। यह पाठ 524 किलोमीटर के क्षेत्र में बना हुआ है। यह भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व में से एक है। यहां आपको 53 से ज्यादा बाघ देखने को मिलेंगे।
संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व: यह (Sanjay-Dubri Tiger Reserve) भी एक जाना माना नेशनल पार्क है। यह मध्य प्रदेश के सीधी जिले में स्थित है। इस पार्क को 1975 में स्थापित किया गया था।
यहां आपको वर्ल्ड फेमस सफेद बाघ मोहन को देखने को मिलता है। यहां दूर-दूर से लोग इस बात को देखने के लिए आते हैं।पार्क रेंज में से एक का नाम वाइट टाइगर के नाम पर मोहन रखा गया है।
बाघ सफारी के लिये कौन सा समय सही
बाघों को देखने के लिये अमूमन सालभर पर्यटक मध्य प्रदेश आते हैं, लेकिन पशु प्रेमियों की मानें तो सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।
इस अवधि के दौरान, मौसम शुष्क होता है और वनस्पति कम घनी होती है, जिससे बाघों को देखना आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त, गर्मी बहुत ज़्यादा नहीं होती है, जिससे पर्यटकों के लिए सफारी पर जाना आरामदायक हो जाता है।
अप्रैल से जून के महीने भी बाघों को देखने के लिए एक अच्छा समय है, लेकिन गर्मी बहुत ज़्यादा होती है, और वनस्पति घनी होती है, जिससे बाघों को देखना मुश्किल हो जाता है।
जुलाई से सितंबर तक का मानसून का मौसम बाघों को देखने के लिए अच्छा समय नहीं माना जाता है। बारिश के कारण वनस्पति घनी हो जाती है और बाघ अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में चले जाते हैं।