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तिरूपति। आंध्र प्रदेश के वन मंत्री पी.आर. रेड्डी ने शनिवार को बताया कि राज्य में 2010 के मुकाबले बाघों की संख्या लगभग दोगुनी हो गयी है। मंत्री ने बताया कि आंध्र प्रदेश में 2010 में 45 बाघ थे जबकि 2023 में उनकी संख्या बढ़कर
80 हो गई है।
वन मंत्री ने किया दावा
श्री वेंकटेश्वर प्राणी उद्यान में ‘वैश्विक बाघ दिवस’ के अवसर पर रेड्डी ने कहा कि राज्य बाघों के लिए स्वर्ग साबित हो रहा है। मंत्री ने बताया कि राज्य की वाईएसआरसी नीत सरकार बाघों के लिए गलियारा बनाने के लक्ष्य से शेषाचलम और
नल्लामाला जंगलों को जोड़ने की योजना बना रही है। रेड्डी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘बाघ संरक्षण रूस में हुए एक सम्मेलन से शुरू हुआ। उस साल से 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है।’’ मंत्री ने कहा कि बाघों
की संख्या में वृद्धि से जंगलों की संपदा लूटने वालों के मन में डर पैदा होगा।
बाघ जोन फिलहाल आठ लाख एकड़ में फैला
उन्होंने कहा कि 12 साल पहले बाघों की गिनती श्रीशैलम में स्थित एक छोटी प्रयोगशाला में हुआ करती थी लेकिन अब उसकी जगह वीडियो, ड्रोन, कैमरों और अन्य वैज्ञानिक प्रक्रिया ने ले ली है। उन्होंने कहा कि शेषाचलम के जंगलों में
अभी कोई बाघ नहीं है लेकिन इसके साक्ष्य हैं कि औपनिवेशिक शासनकाल में ब्रिटिश मामादुरु अतिथि गृह में बाघों का शिकार करने आते थे। रेड्डी ने कहा कि इस विरासत को ध्यान में रखते हुए सरकार नल्लामाला और शेषाचलम को
गलियारे की मदद से जोड़ना चाहती है ताकि नल्लामाला के जंगलों से बाघ और तेंदुए शेषाचलम तक जा सकें। मंत्री ने बताया कि श्रीशैलम-नागार्जुन बाघ जोन फिलहाल आठ लाख एकड़ में फैला हुआ है और मुख्यमंत्री की योजना इसमें
और पांच लाख एकड़ भूमि मिलाने की है।
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