Bhanwal Mata Temple : हिंदू देवी-देवताओं से जुड़ी भारत में कई किवदंतियां है। देश में ऐसे कई मंदिर है, जिनके रहस्य आज भी लोगों को हैरान कर देते है। आज हम उस मंदिर के बारे में बात कर रहे है जिसकी रक्षा डाकुओं ने की थी। इतना ही नहीं डाकुओं ने ही मंदिर का भव्य निर्माण कराया था। हम बात कर रहे है भंवाला माता मंदिर की जो करीब 800 साल पुराना बताया जाता है। बताया जाता है कि भंवाल माता की मूर्ति एक पेड़ के नीचे से प्रकट हुई थी। माता के चमत्कार को देखकर डाकुओं ने मंदिर का निमार्ण कराया था।
देवी माता को लगता है शराब का भोग
इस मंदिर के गर्भगृह में दो देवी माता की मूर्तिया विराजमान है। दाईं ओर ब्रह्माणी माता, ब्रह्माणी माता को मीठे प्रसाद का भोग लगाया जाता है। वही बाएं और काली माता की मूर्ति स्थापित है। काली काता को शराब का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त अपनी मन्नत पूरी होने के बाद भी मंदिर में दोबारा माथा टेकने के लिए आते है।
चांदी के प्याले से लगता है भोग
मंदिर में स्थापित काली माता को रोजाना ढाई प्याला शराब का भोग लगाया जाता है। लेकिन शराब का भोग हर कोई भक्त नहीं लगाता है। माता को भोग वह श्रद्धालु जिसके पास बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, तंबाकू और चमड़े का बेल्ट, चमड़े का पर्स होता है तो वह माता को शराब का भोग नहीं लगा सकता है। शराब के भोग के दौरान मंदिर के पुजारी अपनी आंखें बंद कर देवी माता से प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह करते है। इसके कुछ ही समय बाद प्याले से शराब अपने आप गायब हो जाती है। चांदी के प्याले से शराब का भोग 3 बार किया जाता है। बताया जाता है कि जब तीसरी बार माता को भोग लगाया जाता है तो प्याला आधा भरा बच जाता है।
कहां है मंदिर?
देवी माता का यह चमत्कारिक मंदिर राजस्थान के जोधपुर से 34 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर तक जाने के लिए झालामण्ड चौराहा से बिरामी जाया जा सकता है। जहां से भुवाल माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। राजस्थान के पाली से यह मंदिर करीब 72 किमी की दूरी पर स्थित है।