बालाघाट। Village Story मध्य प्रदेश के बालाघाट के नक्सल प्रभावित कोरिकोना गांव के 21वीं सदी में भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। न बिजली के खंभे हैं न ही पानी की व्यवस्था। गांव पहुंचने सड़क छोड़िए रास्ता तक नहीं है। लेकिन गांव के लोगों ने मुश्किलों में जीने के बजाय उनसे लड़ने का फैसला किया और दशरथ मांझी की तरह पहाड़ को काटकर अपना रास्ता बना लिया।
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यह गांव है एमपी Village Story के बालाघाट जिले के सुदूर अंचल के एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र का। जो जहां गांव के लोग पगडंडी से आना-जाना करते थे। बीमार होने पर भी बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ती थीं। ऐसे में गांव के कुछ लोगों ने पहाड़ ही खोद दिया और गांव के लिए रास्ता बना लिया। बस इंतजार है तो बुनियादी सुविधाएं पहुंचने का। यह एक ऐसा नक्सल प्रभावित गांव है आज भी मूलभूत सुविधाएं से है कोसो दूर हैं।
बिरसा जनपद के धुनधुनवार्धा पंचायत में है केरिकोना गांव
बिरसा जनपद के अंतर्गत आने वाली धुनधुनवार्धा पंचायत के केरिकोना गांव के ग्रामीण आज भी आदिम युग में ही जी रहे हैं। इस गांव में लगभग 20 परिवार निवास करते हैं। ऐसे में इस गांव तक पहुंचने के लिए पगडंडी वाला पथरीला रास्ता था, जिससे ग्रामीणों Village Story को आने-जाने में बेहद ही परेशानियों का सामना करना पड़ता था ऐसे में गांव के ही कुछ लोगो ने पहाड़ को काटकर चौड़ा रास्ता बना दिया, जिससे की गांव वालों को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो।
इस गांव में पहुंचने के लिए रास्ते में छोटे नाले पड़ते हैं, जिसमे ग्रामीणों द्वारा अपने ही हाथो से लकड़ी का पुल बनाया गया है। लकड़ी की बल्लियों के सहारे उस पर बांस लगाए गए हैं, जिसे आम-बोल चाल की भाषा में टट्टे कहते हैं। इसी पर से ये सभी आना-जाना करते हैं, लेकिन ये उतने मजबूत नहीं होते ऐसे में कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
लकड़ी की बल्लियों से बनाया पुल
केरिकोना गांव में बिजली के खंभे तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों Village Story ने ही दर्जनों लकड़ी की बल्ली को गाड़कर उसमें बिजली का तार फंसाकर अपने गांव तक बिजली पहुचाई है, लेकिन इसमें एक दिक्कत यह भी है कि इसमें बीच बीच में कुछ ज्वाइंट भी हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं। तेज हवा-तूफान के वजह से कई बार लकड़ी की बल्लियां टूट जाती हैं, जिससे बिजली सप्लाई पूरी तरह से ठप हो जाती है।
गांव में बिजली न होने से यहां के बच्चे ठीक तरह से पढ़ाई नहीं कर पाते, जिस तरह से बिजली नहीं होने से इस गांव Village Story के घरों में अंधेरा रहता है, उसी तरह बच्चों का भविष्य भी अंधकार में डूबा हुआ है। गांव में ग्रामीणों द्वारा ही अपने हाथों से दो कुएं खोदे गए हैं, जिससे उन्हें पीने का पानी मिल जाता है, लेकिन गर्मी में यह भी पूरी तरह से सूख जाते हैं, जिसके चलते उन्हें झिरिया (गहराई में पानी के गड्ढे) के पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है।
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