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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की परेड के बाद रायसीना हिल्स (Raisina Hills) पर 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat) सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के मुखिया राष्ट्रपति के मुख्य अतिथि होते हैं। इस दौरान राष्ट्रपति अपने निवास से निकलकर विजय चौक का रास्ता तय करते हैं। ये रास्ता बस चंद मिनटों का है। लेकिन राष्ट्रपति इस दिन अपने बॉडीगार्ड्स के साथ जाते हैं। इस सेरेमनी के लिए प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड को खास तैयारी करने पड़ती है।
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मालूम हो कि देश में राष्ट्रपति की सुरक्षा, देश में बाकी लोगों को मिली सुरक्षा से बिल्कुल अलग होती है। क्योंकि राष्ट्रपति को भारत में कमांडर-इन-चीफ का दर्जा मिला होता है और वह देश की तीनों सेनाओं के मुखिया होते हैं। ऐसे में जिन लोगों को राष्ट्रपति के सुरक्षा में लगाया जाता है। उन्हें सेना की सर्वोच्च यूनिट से चुना जाता है। इन्हें पीबीजी कहा जाता है। ये सेना के घुड़सवार रेजीमेंट का हिस्सा होते हैं।
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राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी लगे सैनिकों को काफी सम्मान की नजर से देखा जाता है। वे हर दम राष्ट्रपति के बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में साथ चलते हैं। पहली बार इस बॉर्डीगार्ड यूनिट को साल 1773 में तैयार किया गया था। जब देश मं यूरोपियन ट्रूप्स को ईस्ट इंडिया कंपनी में बतौर पैदल सेना के रूप में भर्ती कराया गया था। उस समय वॉरेन हेस्टिंग्स गवर्नर जनरल हुआ करते थे। उस समय गवर्नर ने मुगल हाउस से 50 ट्रूप्स को इस काम के लिए चुना था।
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राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात जो भी अफसर या सैनिक तैनात होता है। उसकी लंबाई काफी महत्वपूर्ण होती है। अगर सैनिक की लंबाई 6 फीट से कम है तो उन्हें राष्ट्रपति की सुरक्षा में नहीं लगाया जाता है। पहले ये योग्यता 6 फीट तीन इंच थी। वहीं सुरक्षा में तैनात सैनिक तीन जाति से ही होते हैं। इनमें जाट, सिख और राजपूतों को प्राथमिकता दी जाती है। ज्यादातर हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के सैनिकों को इसमें शामिल किया जाता है।
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पहले सुरक्षा में तैनात बॉडीगार्ड्स की पुरी यूनिट में एक कैप्टन, एक लेफ्टिनेंट, चार सार्जेंट्स, छह दाफादार, 100 पैराट्रूर्प्स, दो ट्रंपटर्स और एक बग्घी चालक होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब पीबीजी में कुछ ही सैनिकों का चयन होता है। इन्में चार ऑफिसर्स, 11 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स और 161 जावान होते हैं। जिन्हें एडमिनिस्ट्रेटिवस सपोर्ट हासिल होता है।
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