Census: 2021 में हो वाली जनगणना को एक बार टाल टाल दिया गया है। अब खबर सामने आ रही है कि देश में जनगणना की प्रकिया को कम से कम 30 सितंबर, 2023 तक के लिए फिर टाल दिया गया है। भारत के जनगणना आयुक्त और महापंजीयक कार्यालय ने सभी राज्यों को भेजे पत्र में इसकी तिथि बढ़ाने की जानकारी दी।
बता दें कि 28 मार्च 2019 को केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी करके 2021 की जनगणना करने की जानकारी दी थी। पहले चरण में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के दौरान मकान सूचीकरण और उनकी गणना होनी थी। वहीं, 9 से 28 फरवरी 2021 के दौरान देश की जनसंख्या की गणना होनी थी। कोरोना के चलते इनमें से कोई भी काम शुरू नहीं हो सका है। हालांकि गृह मंत्रालय ने बहुत पहले कहा था कि जनसंख्या का प्रोविजनल डेटा अगले लोकसभा चुनाव से पहले 2023-24 में रिलीज कर दिया जाएगा।
वहीं बजाय की जनगणना का काम समय रहते पूरा किया जाए बल्कि और लेट किया जा रहा है। अब इसे 9 महीनें तक के लिए बढ़ा दिया गया है। अंत में सवाल ये उठता है कि जनगणना में हो रही देरी से क्या फर्क पड़ेगा। सरकार जो योजनाएं बनाती है और लागू करती है, उसमें जनगणना का अहम रोल होता है।
बता दें कि देश में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी। उसे बाद हर 10 साल पर जनगणना होती है। 1931 तक की जनगणना में जातिवार आंकड़े भी जारी होते थे। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया। आजादी के बाद सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का डेटा जारी करने का फैसला किया। इसके बाद से बाकी जातियों के जातिवार आंकड़े कभी पब्लिश नहीं हुए।