हाइलाइट्स
- भारतीय शेयर बाजार में गिरावट
- सेंसेक्स 800 अंक से अधिक गिरा
- 4 लाख करोड़ रुपये की चपत
Indian Stock Market: गुरुवार को रिकॉर्ड पर पहुंचा घरेलू शेयर बाजार (Indian Stock Market) एक दिन बाद शुक्रवार को धड़ाम से नीचे गिर गया। अमेरिकी इकॉनमी को लेकर चिंताओं और एशियाई बाजारों में गिरावट आने की वजह से ही भारतीय शेयर बाजारों में भारी बिकवाली दिखाई दे रही है।
बैंकिंग, ऑटो, आईटी और एनर्जी शेयरों में सबसे सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 814 अंक गिरकर 81 हजार 026 अंक पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 भी 282 अंक लुढ़कर 24 हजार 728 पर था। घरेलू बाजार में आई गिरावट के कारण बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.26 लाख करोड़ रुपए की गिरावट के साथ 457.36 लाख करोड़ रुपए रह गया है।
निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 में भी एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, इस दौरान फूड एग्रीगेटर जोमैटो के शेयर (Indian Stock Market) में 10 प्रतिशत की उछाल आई है। जून तिमाही में कंपनी प्रॉफिट में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद CLSA ने इस शेयर का टारगेट प्राइस को बढ़ाकर 350 रुपए कर दिया है।
सेंसेक्स में ऊपर-नीचे का खेल जारी
सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों में से टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, लार्सन एंड टूब्रो, अदाणी पोर्ट्स, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी और टेक महिंद्रा के शेयरों को भारी घाटा उठाना पड़ा है।
एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, नेस्ले इंडिया और आईटीसी के शेयरों में बढ़त आई हैं। एशियाई बाजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट, हांगकांग का हैंगसेंग, जापान का निक्की और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में रहे। अमेरिकी बाजार भी बृहस्पतिवार को गिरावट के साथ बंद हुआ था।
बाजार गिरने का क्या है कारण
बता दें कि वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.78 फीसदी (Indian Stock Market) की बढ़त के साथ 80.14 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेश संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में गुरुवार को लिवाल रहे और शुद्ध रूप से 2,089.28 करोड़ रुपए की कीमत के शेयर खरीदे।
अमेरिकी बाजारों में गिरावट के बाद भारतीय इक्विटी बाजार (Indian Stock Market) में भी गिरावट आ गई। कमजोर विनिर्माण आंकड़ों के कारण अमेरिकी शेयरों में गिरावट आई। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के भविष्य के बारे में संदेह पैदा हो गया है और फेडरल रिजर्व (Indian Stock Market) के ब्याज दर में कटौती की संभावना कमजोर हुई है।
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