इम्फाल, 29 दिसंबर (भाषा) मणिपुर के लिए वर्ष 2020 राजनीतिक उठापटक से भरा रहा। एक तरफ राज्य कोविड-19 महामारी से मुकाबला कर रहा था तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के इस्तीफे से राजनीतिक संकट के हालात बन गए थे। इससे निपटने में काफी समय तक भाजपा नीत मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार उलझी रही।
मणिपुर में 17 जुलाई को उप मुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार समेत नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायकों ने ”अपमान” का आरोप लगाते हुए भाजपा नीत सरकार से इस्तीफा दे दिया, जिसके चलते राज्य की एन बीरेन सिंह सरकार संकट में आ गई।
इतना ही नहीं संकट उस समय और गहरा गया, जब भाजपा के तीन विधायकों ने भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस के विधायक और एक निर्दलीय विधायक ने भी बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी।
हालांकि, एनपीपी के विधायकों ने करीब एक सप्ताह बाद अपने अध्यक्ष एवं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के हस्तक्षेप के चलते फैसला बदल लिया। तृणमूल कांग्रेस एवं निर्दलीय विधायक भी वापस पुराने खेमे में लौट आए।
विधायकों का साथ छोड़ने से उत्साहित कांग्रेस ने बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, 10 अगस्त को भाजपा नीत सरकार ने विश्वास मत जीत लिया।
विश्वास मत के चंद घंटे बाद ही कांग्रेस के छह विधायक इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। इन विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के भतीजे ओ हेनरी सिंह भी शामिल थे।
कांग्रेस विधायकों ने अपने पद से इस्तीफे के पीछे वजह तत्कालीन कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष इबोबी सिंह के नेतृत्व में भरोसा नहीं होना करार दिया।
ये छह विधायक उन आठ कांग्रेसी विधायकों में शामिल थे जोकि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करके विश्वास मत के दौरान विधानसभा से अनुपस्थित रहे।
इसके बाद सात नवंबर को पांच रिक्त सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के खाते में चार सीटें आईं जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की, जिसने बाद में भगवा दल को अपना समर्थन देने की घोषणा की।
उधर, मणिपुर में 24 मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। ब्रिटेन से लौटे 23 वर्षीय यात्री में संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
इस बीच, दो सरकारी अस्पतालों में संक्रमित लोगों के इलाज के वास्ते अलग से वार्ड स्थापित किए गए।
राज्य में 25 दिसंबर तक संक्रमण के कुल 27,943 मामले सामने आ चुके हैं। कोविड-19 के 344 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। राज्य में फिलहाल 1,352 मरीज उपचाराधीन हैं।
भाषा शफीक माधव
माधव