विश्व की सबसे बड़ी तैरती हुई सौर परियोजना से वर्ष 2022-23 तक मिलने लगेगी सौर ऊर्जा : डंग

(कॉपी में सुधार के साथ)
भोपाल, पांच जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर बांध पर बन रही 600 मेगावाट क्षमता वाली विश्व की सबसे बड़ी तैरती हुई (फ्लोटिंग) सौर ऊर्जा परियोजना से वर्ष 2022-23 से सौर ऊर्जा मिलने लगेगी।
मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग का हवाला देते हुए मंगलवार को यहां जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘विश्व की सबसे बड़ी तैरती हुई सौर ऊर्जा परियोजना मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर बांध पर बनने जा रही है। 600 मेगावाट वाली इस परियोजना में अनुमानित निवेश 3,000 करोड़ रूपये है।’’
उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पॉवर ग्रिड ने परियोजना विकास में सहयोग के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है। परियोजना का प्राथमिक साध्यता अध्ययन विश्व बैंक के सहयोग से पूरा हो गया है।
डंग ने कहा, ‘‘परियोजना से वर्ष 2022-23 तक विद्युत उत्पादन होने की संभावना है।’’
उन्होंने बताया कि इसी माह पॉवर ग्रिड द्वारा परियोजना क्षेत्र से खंडवा सब-स्टेशन तक ट्रांसमिशन लाइन रूट सर्वे का कार्य शुरू किया जायेगा। परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव संबंधी अध्ययन के लिये भी निविदा जारी की जा रही है।
डंग ने कहा कि मध्यप्रदेश पॉवर मेनेजमेंट कंपनी द्वारा परियोजना से 400 मेगावाट विद्युत क्रय किये जाने के लिये सहमति दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि परियोजना में ओंकारेश्वर बांध के बैकवॉटर में 600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल तैरेंगे।
डंग ने बताया, ‘‘अनुमान है कि आगामी दो साल में इस परियोजना से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने लगेगी।’’
उन्होंने कहा कि बांध के लगभग 2,000 हेक्टेयर जल क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकार बिजली का उत्पादन होगा। सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगे। बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह स्वत: ही ऊपर-नीचे ‘एडजस्ट’ होते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि तेज लहरों और बाढ़ का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूर्य की किरणों से निरंतर बिजली का उत्पादन मिलता रहेगा।
भाषा रावत स्नेहा
स्नेहा शाहिद
शाहिद