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भोपाल। गरीबी एक ऐसी मानवीय स्थिति है, जो हमारे जीवन में दुख-दर्द तथा निराशा जैसी विभिन्न समस्याओं को जन्म देती है। लेकिन अगर आप मेहनती हैं और हार न मानने की ठान चुके हैं, तो फिर गरीबी कभी भी आपको अपने मकसद से भटका नहीं सकती। दरअसल, हम ये लाइन आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुश्ती पहलवान, सनी जाधव (Sunny Jadhav) के लिए लिख रहे हैं जिन्होंने प्रदेश के लिए कई बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है। उनकी दयनीय स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें घर चलाने के लिए मजदूरी तक करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
साई ने मदद की मदद की घोषणा
उनकी इस स्थिति को देखते हुए भारतीय खेल प्राधिकरण यानी की ‘साई’ (SAI) ने उहें ढाई लाख रूपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। सनी को पं. दीन दयाल उपाध्याय नेशनल वेलफेयर फंड फॉर स्पोर्टस पर्सन के तरह ये राशि दी जा रही है। वे प्रदेश के पहले ऐेसे खिलाड़ी होंगे जिन्हें इस फंड के तहत आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी।
कुश्ती छोड़ने का बना लिया था मन
बतादें कि सनी जाधव जब गरीबी से जुझ रहे थे तो उन्होंने अपने घर को चलाने के लिए रेलवे में मालगाड़ी पर सीमेंट की बोरियां चढ़ाते थे। अभी भी वो एक कार वॉशिंग सेंटर में मजदूरी करते हैं। हालांकि उन्होंने कभी भी अपनी प्रतिभा को आर्थिक तंगी के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने मजदुरी करते हुए भी 7 नेशनल मेडल जीते। कई बार चैंपियन बनें। लेकिन जब डाइट का खर्च ज्यादा होने लगा और घर चलाने में मुश्किलें आने लगी तो, उन्होंने कुश्ती छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन उनके कोच ने उन्हें समझाया कि ऐसा मत करो। तब जाकर उन्होंने आर्थिक मदद के लिए साई को पत्र लिखा। साई ने भी उनके हालात को समझा और फिर उन्हें आर्थिक मदद के लिए चुना गया।
मदद मिलने के बाद अब आगे की तैयारियों में जुटे
आर्थिक मदद मिलने के बाद अब सनी भी आगे की तैयारी में जुट गए हैं। उन्होंने बताया कि वो अब 20 से 22 फरवरी को जालंधर में होने जा रहे सीनियर नेशनल टूर्नामेंट की तैयारी में जुट गए हैं। उन्होंने अपने तंगहाली के बारे में भी बताया और कहा कि पिताजी जब तक जिंदा थे तब तक सब ठीक चल रहा था। पिता इंदौर में एक ढाबा चलाते थे। लेकिन अचानक से 2017 में उनकी मौत ब्रेन हैमरेज के कारण हो गई और ढाबा बंद हो गया। घर की हालत भी धीरे-धीरे खराब होती चली गई। मैनें रेसलिंग छोड़ने का मन बना लिया था। लेकिन मेरे कोच मुझे समझाया कि तुम ऐसा मत करो और उन्होंने मेरी आर्थिक मदद भी की।
मां दूसरों के घर में आया का काम करती हैं
मालूम हो कि सनी का रेसलिंग ना छूटे इसके लिए उन्होंने और उनकी मां ने काम करने का फैसला किया। उनकी मां दूसरों के घर आया का काम करने लगीं। जबकि सनी जाधव खुद मजदूरी करने लगे। अभी भी वे इंदौर में मरीमाता चौराहा पर स्थित एक गाड़ी के वॉशिंग सेंटर पर काम करते हैं। जहां उन्हें रोजाना 150-200 रूपये मिलते हैं।
जाधव ने इस वक्त अपने डाइट के लिए डेढ़ लाख रूपये कर्ज लिए हुए हैं। आर्थिक मदद मिलने के बाद उन्होंने ने कहा कि मैं सबसे पहले कर्ज चुकता करूंगा। उसके बाद मैं इन पैसों को अपने डाइट पर खर्ज करूंगा।
उनके नाम उपलब्धियां
1. 2017 में ऑल इंडिया इंटर साई, सोनीपत में गोल्ड मेडल
2. 2018 में चित्तौड़गढ़ में अंडर-23 जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल
3. 2019 ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, हिसार में सिल्वर
4. खेलो इंडिया-2020 के 60 किग्रा वर्ग के ग्रीको रोमन वर्ग में सिल्वर