नई दिल्ली। देश में कई ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्हें अपनी सादगी के लिए जाना जाता है। चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) उन प्रधानमंत्रियों में से एक हैं। चौधरी चरण सिंह को लेकर एक किस्सा काफी मशहूर है।
उन्हें किसान नेता के रूप में जाना जाता था
दरअसल, चौधरी चरण सिंह को आम लोगों के नेता और किसान नेता के तौर पर जाना जाता था। जब वे प्रधानमंत्री बने तो बिना किसी ताम-झाम के आम लोगों के बीच पहुंच जाते थे। यही कारण है कि उन्हें लोग काफी पसंद करते थे। ये किस्सा है सन् 1979 की तब चौधरी चरण सिंह देश के नए-नए प्रधानमंत्री बने थे। यूपी के कई जिलों से चरण सिंह को किसानों की शिकायतें मिल रही थीं। किसानों का आरोप था कि, पुलिस ठेकेदार से घूस लेकर उन्हें परेशान कर रहे हैं। ऐसे में एक किसान नेता होने के नाते उन्होंने इस समस्या का खुद ही हल ढूंढने की कोशिश की।
बैल चोरी की शिकायत लिखवाने थाने पहुंचे
एकदिन वे शाम 6 बजे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में मैला कुचैला धोती-कुर्ता पहन कर अपने बैल चोरी की शिकायत लिखवाने उसराहार थाने पहुंच गए। इस दौरान थाने के छोटे दरोगा ने पुलिसिया अंदाज में कुछ आड़े-टेढ़े सवाल करके उन्हें बिना रिपोर्ट लिखे थाने से चलता कर दिया। जब चौधरी चरण सिंह थाने से निकलने लगे तो पीछे से एक सिपाही ने आवाज देते हुए कहा कि ‘बाबा थोड़ा खर्चा-पानी दे दें तो रिपोर्ट लिख देंगे’।
35 रूपये की रिश्वत पर रिपोर्ट लिखी गई
सिपाही 35 रूपये की रिश्वत पर रिपोर्ट लिखने को राजी हुआ। रिपोर्ट लिखने के बाद मुंशी ने उनसे पूछा कि ‘बाबा हस्ताक्षर करोगे कि अंगूठा लगाओगे’? किसान के वेश में मौजूद प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने हस्ताक्षर करने को कहा। मुंशी ने भी झट से प्राथमिकी का ड्राफ्ट आगे कर दिया। चरण सिंह ने पेन के साथ अंगूठे में लगाने वाला स्याही भी उठाया, मुंशी को लगा कि वो गलती से ऐसा कर रहे हैं। उसने उन्हें कुछ नहीं बोला।
मुहर पर लिखा था…
इसके बाद चौधरी चरण सिंह ने पहले रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किये और फिर अपने जेब से एक मुहर निकालकर स्याही लगाते हुए कागज पर ठोक दी। इस पर लिखा था प्रधानमंत्री, भारत सरकार। मुहर देखते ही थाने में हड़कंप मच गया। चौधरी चरण सिंह ने एक्शन लेते हुए पूरे के पूरे ऊसराहार थाने को सस्पेंड कर दिया।