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रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत में किसान धान पर फिर घमासान शुरू हो गया है। दरअसल राज्य सरकार राजीव गांधी न्याय योजना की चौथी किश्त का पैसा किसानों को देने जा रही है। जिसके लिए सरकार अपनी स्तर पर फंड की व्यवस्था कर रही है। विपक्ष इसे मुद्दा क्यों बना रहा है
राजीव गांधी न्याय योजना को लेकर एक बार फिर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान शुरू हो गया है। दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 21 मार्च को प्रदेश के 18 लाख 43 हजार किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त के रूप में एक हजार 104 करोड़ 27 लाख रूपए की राशि का भुगतान करेंगे। इस योजना में अब तक किसानों को तीन किश्तों में 4500 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। जिसमें 21 मई 2020 को पहली किश्त के तौर पर 1500 करोड़ रु. 20 अगस्त 2020 को दूसरी किश्त के रूप में 1500 करोड़ रु. और 01 नवंबर 2020 को तीसरी किश्त के रूप में 1500 करोड़ किसानों के खाते में डाले गए।
बीजेपी ने इस योजना को अन्याय योजना बताया है और कहा कि सरकार छत्तीसगढ़ को कर्ज में डुबोती जा रही है। इस योजना को किश्तों में की वजह से लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। वादा करके भी किसानों से वादाखिलाफी कर रही है सरकार।
राजीव गांधी न्याय योजना को लेकर केंद्र सरकार भी इंक्वायरी कर चुकी है और राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस योजना को लेकर मतभेद भी बने हुए हैं। इसके पीछे बड़ा सियासी गणित जुड़ा है। 2018 में धान पर बोनस योजना और किसान कर्जमाफी ही कांग्रेस के लिए गेमचेंजर साबित हुई थी। कांग्रेस अपने वादे के मुताबिक आगे बढ़ रही है और मजबूत हो रही है। भुगतान के लिए सरकार फिर कर्ज ले रही है। सरकार का तर्क ये भी है कि केंद्र से यदि उनका 21 हजार करोड़ मिल जाता तो उन्हें कर्ज की जरूरत नहीं पड़ती। कुल मिलाकर योजना पर राजनीति का यही सबसे बड़ा कारण है।