Shinde vs Thakre: निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को मान्यता दे दी है। इसी के तहत शिंदे गुट को असल शिवसेना माना जाएगा वहीं पार्टी का चुनाव चिह्न तीर और कमान भी शिंदे गुट के पास हो जाएगा। गौरतलब है कि पिछले साल एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही असली शिवसेना होने को लेकर शिवसेना गुट से लड़ रहे थे।
शिवसेना नेताओं के बगावत के बाद जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने थे तब चुनाव निकाय ने शिवसेना के प्रतीक चिन्ह धनुष और तीर को फ्रीज कर दिया था। जिसके बाद शिंदे गुट को ‘दो तलवारें और ढाल’ का प्रतीक और उद्धव ठाकरे खेमे को ‘धधकती मशाल’ का प्रतीक आवंटित कर दिया गया था। दोनों धड़ों ने पार्टी के चुनाव चिह्न और पार्टी के नाम दोनों पर अपना दावा पेश किया था और अदालतों तथा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। जिसमें अब आखिरकार फैसला आ गया है। चुनाव आयोग ने 78 पन्नों के आदेश में, दो गुटों के बीच लंबी लड़ाई के फैसले में कहा कि शिंदे के गुट को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी के 76% विजयी वोटों के साथ विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
पोल बॉडी के फैसले से खुश शिंदे ने इसे शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत की “जीत” बताया। “मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है। यह शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत की जीत है। हमारी सच्ची शिवसेना है।”
वहीं उद्धव ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (शिंदे के गुट ने) शिवसेना का चुनाव चिन्ह चुरा लिया है। हम लड़ते रहेंगे और उम्मीद नहीं खोएंगे। फिलहाल तो शिंदे को अपनी चोरी से खुश होने दीजिए। एक बार देशद्रोही, हमेशा के लिए देशद्रोही। “
इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने इस घटनाक्रम को ‘खतरनाक’ बताया। “ बता दें कि एकनाथ शिंदे जून 2022 में 40 विधायकों के साथ महा विकास अघाड़ी सरकार से बाहर चले गए। शिंदे गुट ने विधानसभा में शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 में से 13 सदस्यों के समर्थन का दावा किया था। जिसके बाद भाजपा के समर्थन से उन्होंने गठबंधन सरकार बनाई थी। तभी से वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री है।