Nand Kumar Singh Chauha: नगर निकाय की राजनीति से प्रदेश अध्यक्ष बनने तक का सफर, जिन्हें विपक्ष के लोग भी प्यार से नंदू भैया कहते थे

भोपाल। नंद कुमार सिंह चौहान (Nand Kumar Singh Chauha) के जाने से मध्य प्रदेश में एक युग का अंत हो गया है। राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग ये मान रहे हैं कि उनके जाने के बाद राजनीतिक समीकरणों में काफी तब्दीली आएगी। साथ ही खंडवा लोकसभा सीट पर अब उपचुनाव भी कराए जाएंगे। यह काफी दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि इस सीट पर भाजपा अपना दबदबा बरकरार रखना चाहेगी। वहीं कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव हार का बदला इस सीट को जीत कर लेना चाहेगी।
पैतृक गांव में किया गया अंतिम संस्कार
मालूम हो कि चौहान को पहले भोपाल में ही इलाज के लिए रखा गया था। लेकिन हालत काफी बिगड़ जाने के कारण उन्हे एयरलिफ्ट करके दिल्ली ले जाया गया था। जहां उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। बुधवार दोपहर उनके पैतृक गांव शाहपुर में उनता अंतिम संस्कार किया गया। जहां पक्ष और विपक्ष के दिग्गज नेता मौजूद रहे। मालूम हो कि नंद कुमार सिंह चौहान को लोग प्यार से नंदु भैया कहा करते थे। उनका राजनीतिक कद भी काफी बड़ा था। वे खंडवा से छह बार सांसद रहे हैं। इतना ही नहीं 1985 से लेकर 1996 तक विधायक भी रहे हैं।
नगर निकाय की राजनीति से हुई थी करियर की शुरूआत
चौहान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत नगर निकाय की राजनीति से की थी। यही कारण है कि उन्हें मध्य प्रदेश में उन नेताओं में जाना जाता था। जो जमीन से जुड़े हुए हैं। उनका प्रभाव भी काफी था। यही कारण है कि लोग उनके जाने के बाद भाजपा की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा। इसकी चर्चा करने लगे हैं। चौहान को जब भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तो उन्होंने संगठन में कई बदलाव किए थे। उनका मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी काफी अच्छा तालमेल था। इसी कारण से मंगलवार को शोक संदेश में शिवराज सिंह चौहान ने इसे अपना निजी क्षति करार दिया।
अरूण यादव खंडवा से ठोक सकते हैं दावा
वहीं नंद कुमार चौहान के जाने के बाद अब असली लड़ाई खंडवा लोकसभा उपचुनाव में देखने को मिल सकता है। क्योंकि खाली पड़े इस सीट पर कांग्रेस के अरूण यादव फिर से एक बार दावेदारी पेश कर सकते हैं। अरूण यादव साल 2009 में खंडवा से नंद कुमार चौहान को हाराया था। हालांकि जिस प्रकार से उनके जाने के बाद खंडवा के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है उससे
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