लखनऊ / प्रयागराज, 29 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘न्यू खुर्जा-न्यू भाऊपुर रेलखंड’ फ्रेट कॉरीडोर रुट पर पहली मालगाड़ी दौड़ेगी तो उसमें नये आत्मनिर्भर भारत की गूंज और गर्जना स्पष्ट सुनाई देगी।
‘ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ के ‘न्यू खुर्जा-न्यू भाऊपुर खंड’ का मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा, ”आज का दिन भारतीय रेल के गौरवशाली इतिहास को 21वीं सदी की नई पहचान देने वाला है और भारत व भारतीय रेल की सामर्थ्य बढ़ाने वाला है।”
मोदी ने कहा कि मालगाड़ियों के लिए समर्पित फ्रेड कॉरिडोर, आत्मनिर्भर भारत के बहुत बड़े माध्यम बनेंगे। चाहे अलीगढ़ के ताला निर्माता हों या राजस्थान के संगमरमर व्यापारी, मलीहाबाद के आम उत्पादक हों या कानपुर और आगरा का चमड़ा उद्योग, हर किसी के लिए यह अवसर ही अवसर लेकर आया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना के निर्माण में विलंब के लिए पिछली सरकार पर हमला किया और कहा कि परियोजना को 2006 में अनुमति दी गई थी लेकिन, यह केवल कागज पर चलती रही।
उन्होंने कहा कि 2014 तक इस परियोजना पर एक किलोमीटर का भी ट्रैक नहीं बिछाया गया था और न ही स्वीकृत धन को ठीक से खर्च किया जा सका। उन्होंने कहा कि 2014 में जब इसकी शुरुआत की गई तब तक बजट 11 गुना बढ़ गया था।
उन्होंने कहा ‘‘आठ साल में एक किलोमीटर भी काम नहीं हुआ और छह साल में 1100 किलोमीटर निर्माण हुआ। आप इसकी गंभीरता की कल्पना कर सकते हैं।’’
उत्तर प्रदेश में ईस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के 351 किलोमीटर लंबे ‘न्यू खुर्जा-न्यू भाऊपुर खंड’ को 5,750 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया
है। इस खंड के बन जाने से मौजूदा कानपुर-दिल्ली मुख्य लाइन पर भीड़ कम होगी और यह भारतीय रेलों की गति बढ़ाने में भी सक्षम होगा।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान प्रयागराज में स्थित परिचालन नियंत्रण केंद्र का भी उद्घाटन किया और 1.5 किलोमीटर लंबी माल गाड़ी को हरी झंडी दिखाई। यह मालगाड़ियों के संचालन के लिए विश्व के सबसे बड़े परिचालन नियंत्रण केंद्रों में से एक है और पश्चिम बंगाल के दानकुनी से पंजाब के लुधियाना तक पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 1856 किलोमीटर के कॉरिडोर के लिए तंत्रिका केंद्र के रूप में काम करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे यहां यात्री ट्रेन और मालगाड़ियां दोनों एक ही पटरी पर
चलती हैं। मालगाड़ी की गति धीमी होती है, ऐसे में इन गाड़ियों को रास्ता देने के लिए यात्री ट्रेनों को रोका जाता है जिससे दोनों ट्रेनें विलंब से चलती हैं।’’
मोदी ने कहा कि मालगाड़ियों के लिए समर्पित फ्रेड कॉरिडोर, आत्मनिर्भर भारत के बहुत बड़े माध्यम बनेंगे। चाहे अलीगढ़ के ताला निर्माता हों या राजस्थान के संगमरमर व्यापारी, मलीहाबाद के आम उत्पादक हों या कानपुर और आगरा का चमड़ा उद्योग, हर किसी के लिए यह अवसर ही अवसर लेकर आया है।
मोदी ने राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ”देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। देश का इंफ्रास्ट्रक्चर किसी दल की विचारधारा का नहीं, देश के विकास का मार्ग होता है। यह पांच साल की राजनीति का नहीं, बल्कि आने वाली अनेक पीढ़ियों को लाभ देने का मिशन है। राजनीतिक दलों को अगर स्पर्धा करनी ही है तो इंफ्रास्ट्रक्चर की क्वालिटी, स्पीड और स्केल को लेकर स्पर्धा करें।”
मोदी ने आंदोलन के दौरान होने वाली तोड़ फोड़ पर भी सजग किया। उन्होंने कहा ”यहां एक मानसिकता, प्रदर्शन और आंदोलन में देखने को मिलती है और यह मानसिकता देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाती है। यह किसी दल, किसी नेता की नहीं बल्कि यह संपत्ति, हर नागरिक और समाज के हर वर्ग की है। इसमें सबका पसीना लगा है और इस पर लगने वाली चोट देश पर चोट है।”
उन्होंने कहा कि ”हमें अपने अधिकार के साथ अपना राष्ट्रीय दायित्व नहीं भूलना चाहिए।”
मोदी ने रेलवे की उपयोगिता बताई और कहा कि कोरोना काल में इसने श्रमिकों के लिए एक लाख से ज्यादा रोजगार दिवस सृजित किये हैं।
उन्होंने कहा कि आज जब दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है तब बेहतरीन कनेक्टिविटी देश की प्राथमिकता है। मोदी ने कहा कि यह फ्रेट कॉरिडोर औद्योगिक रूप से पीछे रह गये पूर्वी भारत को नई ऊर्जा देने वाला है। इसका करीब 60 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में हैं और वहां के हर छोटे बड़े उद्योग को इसका लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह फ्रेट कॉरिडोर आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत बड़ा माध्यम होगा।
उन्होंने कहा कि ”इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी राष्ट्र की सामर्थ्य का सबसे बड़ा स्रोत होता है। इंफ्रास्ट्रक्चर में भी कनेक्टिविटी राष्ट्र की नसें होती हैं, नाड़ियां होती हैं और जितनी बेहतर ये नसें होती हैं, उतना ही कोई राष्ट्र स्वस्थ और सामर्थ्यवान होता है।”
मोदी ने कहा ” आज जब भारत दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत बनने की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है तब बेहतरीन कनेक्टिविटी देश की प्राथमिकता है। इसी सोच के साथ बीते छह वर्षों से भारत में काम किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, ” हाइवे हो, रेलवे हो, एयरवे हो, वाटरवे हो, आर्थिक रफ्तार के लिए जरूरी इन पहियों को ताकत दी जा रही है। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का लोकार्पण इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।”
उन्होंने कहा कि प्रयागराज में स्थित परिचालन नियंत्रण केंद्र नये भारत के नये सामर्थ्य का प्रतीक है। यह दुनिया के बेहतरीन आधुनिक कंट्रोल सेंटर में से एक है और यह सुनकर किसी को भी गर्व होगा कि इसमें प्रबंधन और डेटा से जुड़ी जो तकनीक है वह भारत में ही, भारतीय युवाओं ने तैयार की है।
मोदी ने देश के लिए महत्वपूर्ण इस कॉरिडोर की विशेषता बताई। उन्होंने कहा कि इससे मालगाड़ी की स्पीड तीन गुना हो जाएगी और माल गाडि़यां पहले से दो गुना सामान की ढुलाई कर सकेंगी और इस ट्रैक पर डबल डेकर मालगाड़ी चलाई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि ”इससे सामान पहुंचाने का खर्च कम होगा और इससे हमारे निर्यात को लाभ होगा, उद्योग को लाभ मिलेगा और निवेश के लिए भारत आकर्षक गंतव्य बनेगा।”
मोदी ने कहा कि अब नये फ्रेट कॉरिडोर में ‘किसान रेल’ और अधिक तेजी से अपने गंतव्य पर पहुँचेगी, उत्तर प्रदेश में कई रेलवे स्टेशन किसान रेल से जुड़ गये हैं और अब स्टेशनों पर भंडारण की क्षमता बढ़ाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के 45 माल गोदामों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया गया है। इसके अलावा, राज्य में आठ नए गुड शेड भी बनाए गए हैं। साथ ही वाराणसी और गाजीपुर में दो बड़े पेरिशेबल कार्गो सेंटर पहले से ही किसानों को सेवा दे रहे हैं।
उन्होंने कहा ”भारतीय रेल पहले से अधिक सुरक्षित हुई है और रेलवे में हर स्तर पर सुधार किये गये हैं। रेलवे के क्षेत्र में भारत ने आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में तेजी से छलांग लगाई है। भारत आधुनिक रेलों का निर्माण अपने लिए भी कर रहा है और निर्यात भी कर रहा है। रायबरेली में अब तक पांच हजार से ज्यादा रेल कोच बन चुके और विदेशों को भी निर्यात किये जा रहे हैं।”
केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस मौके पर कहा कि कोविड-19 की चुनौती के बावजूद रेलवे ने अपने माल ढुलाई से हुए नुकसान की भरपाई लगभग कर ली है।
गोयल ने कहा, ‘‘कोविड -19 चुनौती के बावजूद नुकसान की भरपाई 5 महीनों में किए गए सुधार और अर्थव्यवस्था की बढ़ती मजबूती से संभव हुई।’’
उन्होंने दावा किया कि ”मार्च 2021 तक पिछले वर्ष की तुलना में अधिक माल का परिवहन करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से न केवल माल का परिवहन होगा, बल्कि विकास भी होगा।
उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उप्र के लिए यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है और यह लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में नये अवसर पैदा करने का मौका देगा।
यह खंड कानपुर देहात के पुखरायां क्षेत्र में एल्युमिनियम उद्योग, औरैया के डेयरी क्षेत्र, इटावा के डेयरी उत्पादन और ब्लॉक प्रिंटिंग, फिरोजाबाद के कांच उद्योग, खुर्जा के बर्तन जैसे स्थानीय उद्योगों के लिए नए अवसर प्रदान करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य गलियारे के मार्ग में आने वाले राज्यों में बुनियादी ढांचे और उद्योग को रफ्तार देना है। कई राज्यों से होकर गुजरने वाले इस कॉरिडोर का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा।
भाषा आनन्द राजेंद्र
मानसी मनीषा
मनीषा