होशंगाबाद। प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई है। कोरोना महामारी के कारण हजारों लोग अब तक काल के गाल में समा चुके हैं। इसके बाद भी कोरोना का कहर कम नहीं होते दिख रहा है। अब कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की मरीजों में दहशत बनी हुई है। बुधवार को कोरोना संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुके एक डॉक्टर फंगल इन्फैक्शन की चपेट में आ गया। इटारसी के डॉ. प्रताप वर्मा बीते 14 अप्रैल को कोरोना की चपेट में आ गए थे। इसके बाद उन्हें होशंगाबाद के नर्मदा अपना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां इलाज के बाद डॉक्टर प्रताप की आंखों में ब्लैक फंगल इन्फैक्शन आ गया था। यह इन्फैक्शन इतनी तेजी से बढ़ा कि डॉ वर्मा की आंखों की रोशनी चली गई है।
जानकारी के मुताबिक डॉ. वर्मा की हालत बिगड़ती जा रही है। साथ ही आंखों में ब्लैक फंगल भी बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों डॉक्टर वर्मा की मां भी कोरोना की चपेट में आ गईं थीं। कोरोना की जंग में उनकी मां की मौत हो गई थी। बता दें कि प्रदेश में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दीं हैं। बता दें कि प्रदेश में कोरोना का कहर अभी थमा नहीं था कि नई मुसीबत सामने आ गई।
क्या है ब्लैक फंगस ?
ब्लैक फंगस एक फंगल डिजीज है। जो म्यूकॉरमाइटिसीस नाम के फंगाइल से होता है। ये ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसिन ले रहे हों जो बॉडी की इम्युनिटी को कम करती हों। ब्लैक फंगस शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। लेकिन ज्यादातर मामले आंखों में देखे जा रहे हैं।
शरीर में कैसे पहुंचता है ?
ब्लैक फंगस ज्यादातर मामलों में सांस के जरिए वातावरण से हमारे शरीर में पहुंचता है। अगर आपके शरीर में कही घाव है तो यह सबसे पहले वहां हमला करता है और इंफेक्शन को पूरे शरीर में भी फैला सकता है। ज्यादातर मामलों में इससे आंखो की रोशनी चली जा रही है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ आंखों पर ही हमला करता है। यह आपके शरीर के किसी भी हिस्से में फैल सकता है और शरीर के उस हिस्से को सड़ा सकता है।
हालांकि अच्छी बात ये है कि यह एक रेयर इंफेक्शन है। इस कारण से ज्यादातर लोग इसके चपेट में नहीं आते। ये फंगस वातावरण में कही भी हो सकता है। खासतौर पर इसे जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक मैटर्स में पनपते हुए देखा गया है। सड़ी हुई लकड़ियों और कम्पोस्ट खाद में ये सबसे ज्यादा पाया जाता है।