Firing on Army Camp: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर सेना के कैंप को निशाना बनाया है। राजौरी में आतंकियों ने सेना के कैंप पर हमला किया है, जिसे सुरक्षाबलों ने विफल कर दिया। इस आतंकी हमले में भारतीय सेना का एक जवान गंभीर रूप से घायल हुआ है।
बता दें कि आतंकवादियों ने रजौरी के सुदूर गांव में स्थित भारतीय सेना के कैंप को टार्गेट करते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला और आतंकियों की साजिश को नाकाम कर दिया।
सर्च ऑपरेशन जारी
आतंकियों के अचानक किए इस हमले के बाद सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई में आतंकियों की साजिश का नाकाम कर दिया। हमले के बाद आतंकी फरार हो गए। हालांकि, सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है और सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
सेना कैंप पर कितने आतंकियों ने हमला किया था और उनके साथ कौन-कौन इस साजिश में मिला हुआ है अभी तक इसका पता नहीं चल पाया है। वहीं, इस आतंकी हमले में भारतीय सेना का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया है, जिसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है।
आतंकियों ने किया सुबह 3.30 बजे हमला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आतंकियों ने सुबह करीब 3:30 बजे राजौरी जिले के सुदूर बुधल इलाके के गुंडा गांव में स्थित सेना कैंप पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी थी। इस इलाके में सेना का कैंप हाल ही में बनाया गया था।
वहीं, भारतीय सेना के जवानों ने साहस का परिचय देते हुए आतंकियों से दो-दो हाथ किए और उनके संभावित बड़े आतंकी हमले की साजिश को नाकाम कर दिया। भारतीय जवानों के साथ छोटी मुठभेड़ के बाद आतंकी मौके से फरार हो गए। इलाके में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
12 जवान एक महीने में शहीद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले एक महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। इस दौरान आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। वहीं, इन घटनाओं में 12 जवान शहीद हुए हैं, जबकि 9 नागरिकों की मौत हो गई।
आतंकवादियों ने हाल ही में डोडा में भी एक आतंकी हमाल किया था। दरअसल, डोडा के घने जंगलों में सेना के एक सर्च अभियान दल पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इस आतंकी हमले में एक अधिकारी सहति चार जवान शहीद गो गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमलों के जिम्मेदारी लेने के लिए संगठनों द्वारा रेजिस्टेंस फ्रंट, पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स जैसे आतंकी संगठनों का नाम सामने आया था, जबकि इस बार कश्मीर टाइगर्स नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
माना जा रहा है कि जैश और लश्कर आतंकी संगठन सुरक्षाबलों की जांच को प्रभावित करने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब आतंकी संगठनों ने सुरक्षाबलों की जांच को प्रभावित करने के लिए ऐसी रणनीति का इस्तेमाल किया है। इससे पहले भी वह इस तरह की रणनीति का इस्तेमाल कर चुके हैं।
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