देवास। जिले के किसानों को पंचायतों की तरफ से सीताफल लागने के लिए फ्री में पौधे दिए गए थे। इसके पीछे जिला प्रशासन का लक्ष्य था कि किसानों की फसलों का नुकसान कम से कम हो।
ये बात बीते दस बरस पुरानी हो गई है जब ये पौधे किसानों को सौंपे गए। ये पौधे पेड़ बन गए हैं साथ ही इन सीताफल के पेड़ों से किसना लाभान्वित भी हो रहे हैं।
इन इलाकों के किसान कमा रहे मुनाफा
जिले के बेहरी सहित आसपास के क्षेत्रों में लोग सीताफल से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। जिले के ही रामपुरा, गुवाडी, चारबरडी, अंबापानी, बडपुरा सहित करीब 100 परिवार के लोग इस उत्पादन का फायदा फसल को बेचकर ले रहे हैं।
यहां के किसानों ने बताया है कि एक स्वस्थ सीताफल का पेड़ 20 से 25 किलो तक फल देता है।
एक देता है हजार रुपए का लाभ
इसकी कीमत 50 से 60 रुपए किलो तक मिल जाती है। इस तरह एक पेड़ 1000 रुपए का फायदा किसानों को देता है। वर्तमान में रामपुर गुवाडी के कई आदिवासी परिवार सीताफल बेचने आ रहे हैं।
लगभग 15 दिन तक चलने वाले सीजन से 100 से अधिक परिवारों को 10 से 15 हजार रुपए की आय होने की उम्मीद है।
अवारा मवेशियों का भी नहीं रहता डर
उद्यानिकी विभाग के राकेश सोलंकी ने बताया कि इस फल को बकरी व अन्य मवेशी नहीं खाते हैं, न ही नुकसान पहुंचाते हैं। इसमें लगने वाले कच्चे फल भी कोई नहीं खाता है।
इस पौधे में लगने वाले फल पकने के बाद ही खाने के उपयोग में आते हैं।
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