Right To Repair Law: आज भारत में लगभग हर घर में मोबाइल, टी.वी. और फ्रिज जैसे कई इलेक्टॉनिक उपकरणों की यूज हो रहा है।
कई बार ऐसा होता है कि हम इलेक्टॉनिक उपकरणों खरीदते है तो वो इलेक्टॉनिक उपकरण यूज करते समय खराब हो जाते है।
Right To Repair Law: ये कौन सा कानून ला रही है सरकार! जिससे बचेंगे लोगों के हजारों रुपये, जानें क्या है इसकी खासियत#RightToRepair #Government #electronicdevices #Mobile
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जिसके बाद उसको रिपेयर कराने के लिए हम इलेक्टॉनिक उपकरण के दुकान से सम्पर्क करते है तो वह हमें सर्विस सेंटर जाने की सलाह देने के अलावा और कोई भी हेल्प नहीं करते है और जब हम सर्विस सेंटर पर जाते है तो सर्विस सेंटर वाले अलग-अलग पार्ट के बहुत महंगे-महंगे प्राइज बताते है।
इन्हीं सब परेशानियों से ग्राहकों को बचाने के लिए सरकार ने Right To Repair कानून पर विचार कर रही है। जिसमें ग्राहक को डिवाइस Repair संबधी अधिकार मिलते है। इन अधिकारों से ग्राहक के परेशानी कम होगी और रुपये भी बचेंगे।
क्या होता है राइट-टू-रिपेयर
वर्तमान समय में मोबाइल और लैपटॉप जैसे इलेक्टॉनिक डिवाइस हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गये है।
कई बार ऐसा होता है कि ये इलेक्टॉनिक डिवाइस टूट या खराब हो जाते तो हमें अपने डिवाइस को लेकर सर्विस सेंटर जाना पड़ता है जब हम अपने डिवाइस सही कराने के लिए जाते है तो हमें सरकार के द्वारा एक अधिकार मिलेगा जिसे Right To Repair कहा जाएगा।
इस नियम के आजाने के बाद डिवाइस को रिपेयर कराने के दाम पर सरकार एक सीमा तय करेगी जिससे डिवाइस को रिपेयर करवाना सस्ता हो सकता है।
चार सेक्टर किए गए हैं शामिल
जिन चार क्षेत्रों को इसके दायरे में लाया गया है उनमें फार्मिंग उपकरण, मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स एवं ऑटोमोबाइल उपकरण शामिल हैं।
फार्मिंग सेक्टर में मुख्य रूप से वाटर पंप मोटर, ट्रैक्टर पार्ट्स और हार्वेस्टर तो मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स में मोबाइल फोन, लैपटॉप , डेटा स्टोरेज सर्वर, प्रिंटर, हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर जैसे उत्पाद मुख्य रूप से शामिल है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल में टीवी, फ्रिज, गिजर, मिक्सर, ग्राइंडर, चिमनी जैसे विभिन्न उत्पादों को शामिल किया गया है, तो ऑटोमोबाइल्स सेक्टर में यात्री वाहन, कार, दोपहिया व इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
राइट टू रिपेयर के क्या हैं फायदे
राइट टू रिपेयर से मरम्मत की लागत कम हो सकती है और उपभोक्ताओं को अपने उपकरणों पर अधिक नियंत्रण मिल सकेगा।
राइट टू रिपेयर से सर्विस सेंटर के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा कर सकता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है और तकनीकी कौशल का विकास हो सकता है।
ऐसा देखा जाता है कि अक्सर, टूटे हुए उपकरणों को कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आएगी।
राइट टू रिपेयर रिपेयरिंग को प्रोत्साहित करके और कचरे को कम करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकता है।
राइट टू रिपेयर के अंदर आने वाले क्षेत्र और प्रोडक्ट
क्षेत्र | प्रोडक्ट |
खेती के उपकरण | – ट्रैक्टर के स्पेयर पार्ट्स
– हार्वेस्टर – वाटर पंप मोटर |
मोबाइल/इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले/ डाटा स्टोरेज उपकरण | – मोबाइल
– टैबलेट – वायरलेस हेडफोन और ईयर बड्स – लैपटॉप – यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट/केबल – बैटरी – सर्वर व डेटा स्टोरेज – हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर – प्रिंटर |
कंज्यूमर ड्यूरेबल | – वाटर प्यूरिफायर
– वॉशिंग मशीन – रेफ्रिजरेटर – टेलीविजन – इंटिग्रेटेड/यूनिवर्सल रिमोट – डिशवॉशर – माइक्रोवेव – एयर कंडिशनर – गीजर – इलेक्ट्रिक केतली – इंडक्शन चूल्हे – मिक्सर ग्राइंडर – इलेक्ट्रिक चिमनी |
ऑटोमोबाइल उपकरण | – यात्री वाहन
– दोपहिया वाहन – इलेक्ट्रिक वाहन – तिपहिया वाहन – कारें |
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