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Teachers Day 2024: सरकारी स्कूलों से समाज का भरोसा उठा तो इसके लिए असल जिम्मेदार कौन ?

Teachers Day 2024: सरकारी स्कूलों से समाज का भरोसा उठा तो इसके लिए असल जिम्मेदार कौन होगा। शिक्षक दिवस पर डॉक्टर दामोदर जैन का आर्टिकल पढ़ें।

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Rahul Garhwal
Teachers Day 2024 If society loses trust in government schools then who is really responsible for this Dr Damodar Jain

Teachers Day 2024: आज देशभर में सभी बच्चों को शिक्षित करने के लिए लाखों सरकारी और निजी विद्यालय संचालित हैं। यह सभी स्कूल बेहतर कार्य करें, इस दृष्टि से सरकार की ओर से बहुत सारे दिशा-निर्देश प्रतिदिन जारी किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक बहुत कम स्कूल ही सफल हो पा रहे हैं। इसलिए अब सरकारी शिक्षा तंत्र को केवल निर्देश जारी करते रहने की अपेक्षा अपने कार्य-व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव लाने और प्रत्येक विद्यालय को उसकी जरूरत के अनुसार सहयोग करने की दिशा में सक्रिय सहयोग करना चाहिए।

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यह भी जरूरी है कि अब कार्यालयों में बैठे लोगों को बड़ा मानते रहने की अपेक्षा विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सक्षमता पर भरोसा करने और उनकी बातें सुनकर उनको सहयोग देने की रणनीति बनाई जाए।

कैसे बेहतर बनें सरकारी विद्यालय ?

यह गंभीरतापूर्वक विचारणीय है कि वास्तव में सरकारी विद्यालयों को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है ? सरकार की वर्तमान रीति-नीति से तो सभी को महसूस हो रहा है कि अब धीरे धीरे सरकारी विद्यालयों को गैर-सरकारी संगठनों को सौंपा जाना है। यह तो और अधिक जोखिम का काम है। सरकारी विद्यालयों को निजी हाथों में सौंपना प्रशासनिक अक्षमता और असफलता का प्रतीक ही होगा। सरकार के पास तो विपुल साधन हैं, श्रेष्ठतम सक्षमता है और खूब सारी अधिकारिता भी। फिर भी सरकारी विद्यालयों पर समाज को भरोसा नहीं है तो इसमें गलती किसकी है ? अधिकारी वर्ग अपनी असफलता को शिक्षकों पर उड़ेलकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। प्रशासनिक तंत्र द्वारा नित नए-नए प्रयोग करने के बाद स्कूलों को निजी हाथों में सौंप देने से तो सरकारी स्कूलों की रही-सही साख भी खत्म हो जाएगी। सरकारी शिक्षा तंत्र द्वारा पिछले 25-30 वर्ष में अनेक प्रकार के नए-नए प्रयोग किए गए, लेकिन परिणाम अपेक्षित नहीं होने से सब दुःखी हैं।

विद्यालयों के परिणामों से आम जनता संतुष्ट नहीं

यदि सरकारी विद्यालयों के परिणामों से आम जनता संतुष्ट नहीं हैं तो इस बारे में सबको मिलकर सोचना होगा। अब शिक्षकों को अपनी वैचारिक सक्रियता बढ़ानी चाहिए जिससे सरकारी विद्यालयों को बेहतर बनाने में सफल हो सकें। जो शिक्षक जिस विद्यालय में कार्यरत है, उस विद्यालय को विश्वसनीय बनाकर समाज का भरोसा जीत सकते हैं। शिक्षकों द्वारा अकेले-अकेले काम करने से किसी को भी कोई बड़ी सफलता हासिल करना मुश्किल है, भले ही उनका काम बहुत अच्छा क्यों न हो। सरकारी विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों को सरकार की मदद मिलनी चाहिए।

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अभी तो सबके लिए एक जैसे निर्देश, एक जैसे साधन और एक जैसी योजना तैयार कर सबकी स्वीकार्यता बनाने के लिए जितने भी प्रयास किए जा सकते थे, कर लिए गए हैं। अब सरकार को अलग-अलग विद्यालय को उसकी वास्तविक परिस्थिति, जरूरत, उसमें कार्यरत शिक्षकों और बच्चों के अनुसार मदद करने की नीति तय करें।

जैसा रोग वैसा उपचार

अब जिस स्कूल का जैसा रोग उसका वैसा उपचार करने की ज्यादा जरूरत है। सरकार समर्थ है। सरकारी शिक्षक समर्थ शिक्षक हैं। हां! सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति थोड़ी कमजोर है क्योंकि समर्थ परिवारों ने तो अपने बच्चों के लिए अपने आर्थिक स्तर अनुसार अलग-अलग निजी विद्यालय तय कर लिए हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षक न तो उन पर विचार करें और न उनकी नकल।

सरकारी विद्यालयों को निजी विद्यालय की नकल करने की अपेक्षा उनसे ज्यादा बड़ा होने के लिए उनसे ज्यादा बड़े-बड़े काम करना चाहिए। सरकार के पास अभी भी अनेक प्रकार के अच्छे विद्यालय उपलब्ध हैं। इनमें काम करने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित करने वे सभी सफल हो सकते हैं।

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अभी चलता है शीत युद्ध

सरकारी शिक्षा तंत्र को अब अपनी तरफ से कोई विशेष शैक्षिक कार्यक्रम, भारी-भरकम बजट खर्च करने वाले कार्यक्रम, योजना या परियोजना चलाने से मुक्त हो जाने का समय आ गया है। जब सभी स्तरों पर सरकार ने बड़े-बड़े अधिकारी बैठाए ही हैं तो उन्हें बड़े-बड़े काम करने का अधिकार और जिम्मेदारी भी देना चाहिए। अभी तो एक तरह का शीत युद्ध सरकारी शिक्षकों और सरकारी शिक्षा अधिकारी वर्ग के बीच चलता रहता है जिसे जितने जल्दी खत्म कर दिया जाए और सरकार अपने शिक्षकों पर जितने जल्दी भरोसा कर ले, उतने ही जल्दी सुधार की संभावना बढ़ेगी।

अब शिक्षकों से खुद को बहुत बड़ मानने वाले शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को भी विद्यालयों की वास्तविक मदद करना चाहिए। अभी जिस तरह विद्यालय और शिक्षक सभी की मदद करते हैं। उसी तरह यह भी जरूरी है कि सरकार के सभी विभाग के लोग मिलकर सरकारी विद्यालयों को बेहतर बनाने में मदद करें।

अपने विद्यालयों पर भरोसा करे सरकार

प्रारंभिक शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों की भूमिका को महत्व देते हुए उन्हें कभी किसी गैर शैक्षिक काम करने में न लगाने के ढेर सारे आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन फिर भी शिक्षकों को बहुत सारे गैर शैक्षिक कार्यों में लगाया जा रहा है। गैर शैक्षिक कार्यों में न लगाने से शिक्षक ज्यादातर समय बच्चों को सिखाने में लगा सकेंगे। सबसे अधिक जरूरत इस बात की है कि सरकार खुद अपने विद्यालयों पर भरोसा करे तो स्वाभाविक तौर पर वे सफल हो सकते हैं।

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मिलकर काम करने से अच्छे होंगे परिणाम

शिक्षक दिवस के अवसर पर सरकार को केवल कुछ शिक्षकों को सम्मानित करते रहने की अपेक्षा सभी शिक्षकों के आत्मसम्मान की सुरक्षा करना चाहिए क्योंकि अब तो सरकारी शिक्षा विभाग और शिक्षकों की अस्मिता ही खतरे में पड़ गई है। जब सब मिलकर काम करेंगे तो परिणाम भी बहुत अच्छे होंगे।

निराले अभियान को मिले सभी का सहयोग

शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर शिक्षक संदर्भ समूह (शिक्षकों के रचनात्मक मैत्री समूह) का सरकार और समाज से विनम्र अनुरोध है कि सब अपने सभी शिक्षकों पर भरोसा करते हुए उन्हें बच्चों को सीखने में मदद करने लायक परिस्थिति देते हुए सिखाने का मनोबल दीजिए ताकि सभी शिक्षक अपने विद्यालय को बच्चों के लिए आनंद घर में रूपांतरित कर सकें। शिक्षक संदर्भ समूह द्वारा संचालित अभियान मेरा विद्यालय मेरी पहचान अंतर्गत विद्यालय को आनंद घर में रूपांतरित करने वाले शिक्षकों को शिक्षाविद गिजू भाई सम्मान से सम्मानित करने वाले अभियान को भी सफल बनाने में भी सभी का (सरकार और समाज का) सहयोग अपेक्षित है। उम्मीद है कि इस निराले अभियान को सभी का सहयोग मिलेगा।

( लेखक NCERT के पूर्व सदस्य और शिक्षक संदर्भ समूह के संस्थापक हैं )

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