मुंबई: सुशांत सिंह आत्महत्या मामले में सीबीआई जांच जारी है। केस में तेजी से आगे बढ़ते हुए सीबीआई अब सुशांत की साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी भी करेगी। जिसे सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री(CFSL) की टीम द्वारा किया जाएगा। इसके अंतर्गत सीबीआई एक्टर सुशांत की सभी सोशल मीडिया पोस्ट्स की स्टडी करते हुए, आखिरी वक्त में उनके दिमाग और उनके मनोभावों को समझने की कोशिश करेगी।
क्या होता है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी?
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी (psychological autopsy) अधिकतर सुसाइड केस (Sucide) के केस में किया जाता है। इसमें मृत व्यक्ति के मरने से पहले की मनोस्थिति का पता लगाया जाता है। इससे यह पता किया जाता है कि जिसकी मौत हुई है उसका व्यवहार क्या था। मरने से कुछ दिन पहले उसके सोचने का तरीका क्या था।
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी ज्यादातर सुसाइड केस में ही किया जाता है। इसके अंतर्गत मृत व्यक्ति की पूरी जानकारी इकठ्ठी की जाती है। जैसे कि मृतक का ट्रीटेमेंट क्या था, क्या दवाएं लेता था।
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साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी के तहत सुशांत सीबीआई (Sushant sucide case) में होने वाले बदलाव और व्यक्तिगत पहचान से जुड़ी बातों को भी जानने की कोशिश करेगी। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि साइकलॉजिकल ऑटोप्सी एक तरह से सुशांत के दिमाग का पोस्टमार्टम करना है। इससे इस केस में सीबीआई को काफी मदद मिलेगी।
इन केसों में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी हुई थी
इससे पहले साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी दो मामलों में हो चुकी है। पहला सुनंदा पुष्कर और दूसरा बुराड़ी परिवार आत्महत्या मामले में भी साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की गई थी। ये तीसरा मामला है, जब किसी हाईप्रोफाइल केस में इस तरह की जांच प्रक्रिया को अपनाई जाएगी।