नई दिल्ली। ग्रहों की बदलती चाल Surya or Budh ki Yuti कुछ न कुछ खास लेकर जरूर आती है। शुक्रवार को इसी बदलाव में एक मोड़ और जुड़ने वाला है। जब सूर्य सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसे सूर्य संक्रांति भी कहा जाता है। इस राशि में पहले से उपस्थित बुध के साथ मिलकर ये बुधादित्य योग भी बनाएंगे। इस दिन के सूर्य का पूजन करने से सभी तरह के रोग और परेशानियां दूर होती हैं। इसे अश्विन संक्राति भी कहते हैं।
पूजा—पाठ करना होता है शुभ
सूर्य जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो Surya or Budh ki Yuti उस राशि के नाम से संक्रांति को पुकारा जाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन के सूर्य के पूजा—पाठ आपको विशेष शुभ फल देते हैं। कन्या संक्रांति को विश्वकर्मा पूजा दिवस के रूप में भी मनाते हैं। दक्षिण भारत में ये पर्व बहुत ही खास माना जाता है। वहां सौर कैलेंडर को ज्यादा महत्व दिया जाता है। वहां संक्रांति को संक्रमण कहा जाता है।
कन्यागत सूर्य पूजा से खत्म होती है परेशानियां
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार इस संक्रांति पर स्नान, दान के साथ ही पितरों के लिए श्राद्ध लोगों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। उपनिषदों, पुराणों और स्मृति ग्रंथों के अनुसार जब सूर्य कन्या राशि में है उस समय किया गया श्राद्ध पितरों को वर्षों तक तृप्त करता है।
सभी बीमारियां होती हैं दूर
ऐसी मान्यता है कि कन्या राशि में उपस्थित सूर्य का अगर पूजन किया जाए तो सभी बीमारियां शेयर हुई हैं। पूजा करने से हर तरह की बीमारियां और परेशानियां दूर होने लगती हैं। इसलिए इस दिन को अनुकूल समय मानकर दिन की शुरूआत करनी चाहिए।
यहां मनाते हैं विशेष रूप से
इस संक्रांति को पश्चिम बंगाल और ओडिशा में विशेष रूप से मनाया जाता है। जिसकी अपनी विशेष परंपराएं भी निभाई जाती हैं। कहते हैं कन्या संक्रांति पर पूरे विधि विधान से सूर्यदेव की पूजा की जाए तो सभी संकट दूर होते हैं। इस दिन जरूरतमंदों की मदद जरूर करनी चाहिए।