नई दिल्ली। Surya Nakshatra Parivartan 2023: अभी तक पुष्य नक्षत्र में चल रहे सूर्य कल यानि 3 अगस्त को नक्षत्र परिवर्तन कर अश्लेषा में प्रवेश में जाएंगे। इसी के साथ ये 15 दिन तक इसी राशि में रहेंगे। ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस बार नक्षत्र परिवर्तन के साथ बारिश की विदाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा। अश्लेषा जलचर राशि होने के चलते एक बार फिर अच्छी बारिश के योग बनेंगे।
15 दिन बाद फिर बदलेंगे नक्षत्र
आपको बता दें 3 अगस्त को सूर्य अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद 15 दिन तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। इसके बाद फिर नक्षत्र परिवर्तन करके मघा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस दौरान स्त्री-स्त्री योग बनेगा। जो खंड बारिश के योग बनाएंगे।
सूर्य इस दिन करेंगे मघा नक्षत्र में प्रवेश
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार 3 अगस्त को अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश करने के बाद सूर्य 18 अगस्त को फिर नक्षत्र बदलकर मघा में जाएंगे। इस दौरान स्त्री-पुरुष बनेगा। जो तेज और झमाझम बारिश कराएगा।
सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन का महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य का नक्षत्र (Surya Nakshatra Parivartan) में प्रवेश का विशेष महत्व बताया गयाहै। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दौरान भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा करने से लाभ मिलता है। इस दौरान भगवान को खीर-पूरी और आम के फल का भोग लगाना उत्तम माना जाता है।
जलचर नक्षत्र के साथ स्त्री-पुरुष योग का योग
आपको बात दें बारिश के लिए जलचर नक्षत्र होते हैं। जो अतिवृष्टि के लिए उत्तरदायी होते हैं। लेकिन यदि इन नक्षत्रों में स्त्री—स्त्री योग होता है तो खंड बारिश के योग बनते हैं। लेकिन यदि इस दौरान स्त्री-पुरुष योग बन जाए तो अच्छी बारिश मानी जाती है। इस बार अश्लेषा नक्षत्र में स्त्री पुरूष योग बन रहा है। जो एक बार फिर अति वृष्टि के योग बनाएगा।
इनमें से दो जलचर नक्षत्रों में सूर्य का गोचर इस साल हो चुका है। लेकिन इसमें से अश्लेषा नक्षत्र बचा है।
बारिश के नक्षत्र कितने प्रकार के होते हैं
आद्रा नक्षत्र – स्त्री-स्त्री योग
पुनर्वसु नक्षत्र – स्त्री-पुरुष योग
पुष्य नक्षत्र – स्त्री- स्त्री योग
अश्लेषा नक्षत्र – स्त्री-पुरुष योग
मघा नक्षत्र – स्त्री- स्त्री योग
पूर्वा नक्षत्र – स्त्री-पुरुष योग
उत्तरा नक्षत्र – स्त्री- स्त्री योग
हस्त नक्षत्र – स्त्री-पुरुष योग
जल चर नक्षत्र कौन से हैं
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार पुनर्वसु, अश्लेषा और पुष्य नक्षत्र जलचर नक्षत्र कहलाते हैं। यानि इन नक्षत्रों में बारिश (Surya Pushya Nakshatra) अच्छी मानी जाती है। लेकिन यदि इन नक्षत्रों में स्त्री-स्त्री योग वनता है तो खंड बारिश के योग बनते हैं।
नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।
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