सुप्रीम कोर्ट: कर्नाटक के एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों को रिश्वतखोरी के रूप में मान्यता देने की मांग की है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों, खासकर नकदी के रूप में दिए जाने वाले वादे को रिश्वतखोरी के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें- ग्वालियर में डबल मर्डर से सनसनी: पॉश इलाके में एक फ्लैट से मिला मां और बेटी का शव, कमरे में बिखरा मिला सामान
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में फ्रीबीज के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। इस मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा गया है. कर्नाटक के रहने वाले शशांक जे श्रीधर ने ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि विधानसभा या जनरल इलेक्शन के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा नकदी के रूप में मुफ्त उपहारों का वादा करना रिश्वत देना करार दिया जाए।
आवेदक के वकील का क्या है तर्क?
याचिकाकर्ता के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सोमवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने यह मामला उठाया. उन्होंने कहा कि विधानसभा या जनरल इलेक्शन के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार, विशेष रूप से नकद रुपए का वादा करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत राजनीतिक दल के उम्मीदवार को वोट देने के लिए रिश्वत या प्रलोभन माना जाता है।
सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा
अदालत ने चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को चुनाव पूर्व अवधि के दौरान मुफ्त सुविधाओं के वादे करने से रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश जारी करने को कहा। पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और इसे अन्य लंबित याचिकाओं के साथ टैग कर दिया। इसके अलावा याचिकाकर्ता को सभी आवेदनों को शीघ्र सुनवाई के लिए संदर्भित करने की छूट दी गई है।
यह भी पढ़ें- MP News: नशे पर कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा बयान, MP में राजस्थान के प्रतापगढ़ से आता है नशा