Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता हाई कोर्ट (Supreme Court) की एक टिप्पणी को लेकर अपनी आपत्ति जताई है। कोलकाता उच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाते हुए किशोरियों को यह सलाह दी थी कि अपनी यौन इच्छाओं पर काबू रखें और दो मिनट के आनंद के पीछे न भागे।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पॉस्को एक्ट (प्रोटक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट) से जुड़े मामले में रिहा किए गए एक व्यक्ति को कोलकाता हाई कोर्ट के एक फैसले को भी पलट दिया है।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट को लागू करने को लेकर उच्च न्यायालय ने अपनी गाइडलाइन दी है। साथ ही यह भी बताया है कि इस तरह के मामलों में जजों को फैसला सुनाते हुए किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
जजों को ज्ञान बांटने से बचना चाहिए- SC
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोलकाता हाई कोर्ट की विवादित टिप्पणी का स्वत: संज्ञान लेते हुए 8 दिसंबर को कहा था कि जजों को किसी भी मामले में कानून और तथ्यों के आधार पर ही फैसला सुनाना चाहिए। साथ ही कानूनी प्रक्रियाओं में जजों को ज्ञान बांटने से बचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार आरोपी को छोड़े जाने को भी रद्द कर दिया है।
कोलकाता हाई कोर्ट ने दिया था विवादित बयान
दरअसल, कोलकाता हाई कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2023 में कहा था कि यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखें, क्योंकि जब वह दो मिनट के आनंद के पीछे भागती है तो वह सामज की नजरों में गिर जाती है। कोलकाता हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी पॉक्सो एक्ट (Supreme Court) से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान की थी।
वहीं, कोर्ट ने पाया था कि आरोपी और कथित पीड़िता के बीच सहमति का रिश्ता था, इसी को ध्यान में रखते हुए आरोपी को कोलकाता हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया था। वहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और आरोपी की रिहाई को रद्द कर दिया और जजों को ज्ञान देने से बचने की सलाह दी है।
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