Supreme Court On Illegal Construction: सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट (SC Illegal Construction) ने साफ किया कि केवल प्रशासनिक देरी, समय बीतने या पैसों के निवेश के आधार पर अनधिकृत निर्माण को वैध नहीं ठहराया जा सकता।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि निर्माण के बाद भी किसी भी तरह के नियम उल्लंघन पर तेजी से सुधारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
मेरठ के अवैध निर्माण का मामला
यह फैसला मेरठ के शास्त्री नगर में एक भूखंड पर अवैध निर्माण को लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखते हुए अवैध निर्माण ढहाने का निर्देश दिया। याचिका राजेंद्र कुमार बड़जात्या द्वारा दायर की गई थी, जिसमें अवैध निर्माण को चुनौती दी गई थी।
नियम उल्लंघन पर सख्ती अनिवार्य, दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण को रोकने के लिए निम्नलिखित सिफारिशें दीं:
- निर्माण की प्रक्रिया में पारदर्शिता: निर्माण के दौरान स्वीकृत भवन योजना का पालन अनिवार्य है। समय-समय पर निरीक्षण किया जाना चाहिए और उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
- पूर्णता प्रमाण पत्र जरूरी: बिल्डर बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के इमारत का कब्जा न सौंपें। सभी आवश्यक सेवाएं (बिजली, पानी, सीवेज) तभी दी जाएं, जब पूर्णता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए।
- बैंकों के लिए निर्देश: बैंक और वित्तीय संस्थान केवल निर्माण पूरा होने के बाद और प्रमाण पत्र की पुष्टि के बाद ही लोन जारी करें।
- स्थानीय अधिकारियों की जवाबदेही: निर्माण में नियमों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
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अवैध निर्माण के खतरे
36 पेज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट (SC Illegal Construction) ने कहा कि अवैध निर्माण न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह आस-पास के निवासियों के जीवन के लिए खतरा भी बनता है। यह महत्वपूर्ण संसाधनों जैसे बिजली, पानी और भूजल पर दबाव बढ़ाता है और व्यवस्थित शहरी विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
कानूनी निर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन
कोर्ट (SC Illegal Construction) ने कहा कि नियमन केवल असाधारण स्थितियों में आवासीय घरों के लिए ही किया जा सकता है। अवैध निर्माण को नियमित करने की अनुमति देना शहरी नियोजन कानूनों का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नियमों का सख्ती से पालन कराना स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है।
निर्माण के बीच निरीक्षण अनिवार्य
निर्माण के दौरान स्वीकृत भवन योजना का प्रदर्शन किया जाना चाहिए। स्थानीय निकायों को समय-समय पर निरीक्षण कर रिकॉर्ड रखना चाहिए। अगर कोई उल्लंघन पाया जाता है तो पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करना स्थगित किया जाए।
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अवैध निर्माण रोकने की दिशा में यह कदम क्यों अहम?
विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध निर्माण को रोकने के लिए यह फैसला ऐतिहासिक है। इससे शहरी विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। साथ ही, इससे नियमानुसार निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा और नागरिकों को सुरक्षित और व्यवस्थित आवासीय ढांचा सुनिश्चित होगा।
हाई कोर्ट को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि इस फैसले की एक प्रति सभी हाई कोर्ट को भेजी जाए, ताकि भविष्य में अवैध निर्माण से जुड़े मामलों में इसे संदर्भित किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अवैध निर्माण पर सख्ती से रोक लगाने और शहरी विकास को सुगठित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे नियमों के उल्लंघन पर अंकुश लगेगा और जिम्मेदार निर्माण प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
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