Car Insurance: भारत तेजी से विकास करता जा रहा है। आज भारत की सड़कों पर आपको तमाम कंपनियों की गाड़ी या कार देखने को मिल जाती है।
एक कार व्यक्ति के काम को आसान बनाने के साथ-साथ उसके लिए बहुत उपयोगी भी होती है। अगर आपके पास कार है तो आपको मामूल होगा की कार के साथ कार के जरूरी डाक्यूमेंट्स को रखना भी जरूरी होता है।
यदि आपके पास किसी प्रकार के डाक्यूमेंट्स में कमी आती है तो आप पर चालानी कार्यवाही भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कार के थर्ड पार्टी बीमा के संदर्भ में एक बहुत जरूरी अपडेट दिया है।
आइए हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी डिटेल में देते हैं।
फोर व्हीलर इंश्योरेंस के बदले नियम: ये हुआ बड़ा बदलाव, कार बीमा कराने से पहले जान लें पूरी डिटेल, नहीं तो होगा नुकसान#fourwheelerinsurance #carinsurance #supremecourt#PUC
पूरी खबर पढ़ें: https://t.co/6RaiPpnYN7 pic.twitter.com/0p30nB8YiX
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) July 28, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने हटाई शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त, 2017 के आदेश द्वारा लगाई गई एक शर्त को हटा दिया है। इस हटाई गई शर्त के अनुसार, वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा प्राप्त करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण (PUC) सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।
जस्टिस एएस ओक और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने जनरल इंश्योरेंस काउंसिल द्वारा दायर आवेदन स्वीकार किया। जिसमें 2017 के आदेश के बारे में चिंताओं को उजागर किया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस शर्त के साथ इससे संभावित मुद्दों पर प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि थर्ड पार्टी बीमा के बिना दुर्घटना पीड़ितों को सीधे वाहन मालिकों से मुआवज़ा मांगना होगा। जिनके पास अक्सर भुगतान करने की क्षमता नहीं होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैंसला
जस्टिस एसजी मसीह ने बताया कि ‘यदि इस थर्ड पार्टी बीमा के लिए प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट की आवश्यकता वाले उक्त निर्देश को अक्षरशः और भावना में लागू किया जाता है तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे।
कुछ वाहन थर्ड पार्टी बीमा के बिना चलते रहेंगे इसलिए हम उपरोक्त निर्देश हटाकर आवेदन स्वीकार करने के लिए इच्छुक हैं।‘
किसी नियम में वैध नहीं है PUC सर्टिफिकेट
कोर्ट ने बताया कि न तो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MV Act) और न ही इसके तहत बनाए गए किसी अन्य अधिनियम या नियम में ऐसा अनिवार्य किया गया कि बीमा कंपनियों को वाहन बीमा पॉलिसी नवीनीकरण के लिए वैध PUC सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।
कोर्ट ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह शर्त इसलिए लगाई गई थी कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वाहनों के पास हमेशा वैध PUC सर्टिफिकेट रहे। इसी के साथ इसकी प्रभावी समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया जाए।
कोर्ट ने दिया रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वाहनों को ट्रैक करने के लिए PUC सर्टिफिकेट के साथ रिमोट सेंसिंग तकनीक के उपयोग का सुझाव दिया।
दरअसल, वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि रिमोट सेंसिंग तकनीक के जरिये चलते वाहनों के कई पैरामीटर मापा जा सकेंगे।
क्या होता है PUC सर्टिफिकेट
PUC Certificate का फुल फॉर्म Pollution Under Control Certificate होता है। यह भारत में चलाए जाने वाले हर वाहनों के लिए जरूरी होता है।
यह PUC सर्टिफिकेट बताता है कि आपका वाहन पर्यावरण के मानकों के अनुकूल है, और इससे उत्पन्न होने वाला प्रदूषण ज्यादा हानिकारक नहीं है।
इसी के साथ इससे निकलने वाला प्रदूषण तय सीमा मे है। ये सब जानकारी PUC सर्टिफिकेट देता है।
क्या होता है थर्ड पार्टी इंश्योरेंस
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस वह होता है, जिसमें आपके द्वारा हुई किसी दुर्घटना का क्लेम आपको नहीं मिलता बल्कि सामने वाले को मिलता है।
मान लीजिए आपकी बाइक या कार किसी दूसरी बाइक या कार से टकराती है, तो दुर्घटना में हुए नुकसान की भरपाई आपकी इंश्योरेंस कंपनी सामने वाले को देती हैं आपको नहीं। इसे ही थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कहते हैं।
यह भी पढ़ें- मनु ने ब्रॉन्ज जीतकर रचा इतिहास: ओलंपिक में मेडल जीतने वालीं पहली महिला खिलाड़ी बनीं, पेरिस में खुला इंडिया का खाता